26 साल बाद दिया प्लॉट वह भी आधा, ग्रेटर नोएडा के सीईओ को नोटिस जारी
Greater Noida: ग्रेनो प्राधिकरण की पहले आओ पहले पाओ वाली योजना के तहत दिल्ली के एक उपभोक्ता ने 2500 वर्ग मीटर का औद्योगिक भूखंड लिया था। इस मामले में 26 साल के लंबे अंतराल के बाद उपभोक्ता को एक हजार वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया था। आयोग के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर उपभोक्ता ने एक बार फिर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में मदद के लिए गुहार लगाई थी। इस पर आयोग ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को नोटिस जारी किया है। साथ ही 15 नवंबर तक केस से जुड़े जवाब दाखिल करने और 24 दिसंबर को सुनवाई पर पेश होने के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता महेश मित्रा ने बताया कि वर्ष 2000 में प्रगति मैदान में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर भूखंड योजना निकाली थी। इसमें 500 से 1000 वर्ग मीटर के लिए आवेदन किया था। आवंटन नहीं होने पर महेश ने वर्ष 2005 में जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया था। वर्ष 2006 को जिला फोरम ने प्राधिकरण को आवंटी की आवश्यकता अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित करने के आदेश जारी किए थे।
जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की थी। 2500 वर्ग मीटर का औद्योगिक भूखंड 750 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से दिलाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उपभोक्ता आयोग में गुहार लगाई थी। आवंटन के लिए 20 हजार रुपये जमा किया, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पैसे देने के बाद भी कब्जा नहीं दिया।
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने ग्रेनो प्राधिकरण और उपभोक्ता महेश मित्र के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 21 जून को ग्रेनो प्राधिकरण को 1000 वर्ग मीटर वाले प्लाट को आवंटित करने के लिए आदेश दिए थे। इस आदेश से संतुष्ट न होने पर उपभोक्ता ने लखनऊ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में अपील दायर कर 1000 के बजाय नियम अनुसार 2500 वर्ग मीटर का भूखंड दिलाने के लिए मांग की। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य आयोग ने 15 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को मामले से जुड़े जवाब दाखिल करने और 24 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है। आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर सुनवाई पर कोई पेश नहीं होता है, तो एक तरफा फैसला सुनाया जाएगा।