लॉकडाउन में यमुना का पानी पीने लायक हो गया था, 2024 में फिर जहरीला हुआ
Delhi NCR: कोरोनाकाल में उद्योगों के पहिये शांत हुए हवा ही नहीं पानी भी साफ हो गया। वर्ष 2020 में लॉकडाउन लगने से उद्योग नगरी के थमते ही यमुना का पानी 20 वर्ष बाद इतना साफ हो गया कि पानी पीने लायक हो गया। आज हम वर्ल्ड रिवर डे पर लॉकडाउन से पहले और बाद की यमुना की स्थिति को दिखा रहे हैं। लॉकडाउन से दौरान यमुना नदी के ओखला बैराज में पानी की क्वॉलिटी में सुधार होने से नदी का बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) 28 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो गया था,यानी पानी की गुणवत्ता इतनी बेहतर हो गई कि इंसानों के साथ ही पानी में जलीय जीव भी सुरक्षित हो गए थे।
वर्ष 2020 में जारी हुई रिपोर्ट में बताया गया था कि लॉकडाउन से पहले पानी में केमिकल के कारण झाग की चादर बिछ जाती थी। लॉकडाउन के दौरान पानी में हैवी मेटल की मात्रा इतनी कम हो गई कि कई जगह पानी पारदर्शी तक दिखने लगा था। वहीं, अब साल दर साल यमुना फिर से इतनी प्रदूषित हो चुकी है और पानी काला हो चुका है। वर्ष 2023 में बीओडी 56 था, जोकि अब 2024 में 52 पर आ चुका है। ऐसे में जलीय जीवों पर फिर से खतरा हो गया है। वर्तमान में यमुना का पानी केमिकल की वजह से झागदार हो चुका है।
ओखला बैराज में पानी का बीओडी जनवरी में 44, फरवरी में 50, मार्च में 53, अप्रैल में 53, मई में 60, जून में 50, सितंबर में 52 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया था। मार्च से अब तक बीओडी के स्तर में काफी वृद्धि हुई है। जानकारों के अनुसार बीओडी उस स्तर को कहते हैं, जो यह बताता है कि पानी में बैक्टीरिया को कितनी ऑक्सीजन मिल रही है। मानकों के अनुरूप बीओडी का स्तर नदी में 3 एमजी प्रति लीटर या उससे कम होनी चाहिए।
यमुना नदी की तरह ही हिंडन नदी में भी प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुका है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में इस साल 2024 में हिंडन में जनवरी में 36, फरवरी में 42, मार्च में 40, अप्रैल में 38, मई में 42, जून में 50, सितंबर में 52 मिलीग्राम प्रति लीटर बीओडी दर्ज किया गया।