हिंडन-यमुना के पानी ने स्याह की मोमनाथल वालों की जिंदगी, नोएडा के इस गांव का दर्द झकझोड़ देगा

हिंडन-यमुना के पानी ने स्याह की मोमनाथल वालों की जिंदगी, नोएडा के इस गांव का दर्द झकझोड़ देगा

Noida: पानी को लेकर आपने ‘जल है तो कल है’ का नारा कई बार सुना होगा, लेकिन हिंडन और यमुना नदी के संगम पॉइंट के किनारे बसे 5 हजार आबादी वाले मोमनाथल गांव के लिए जल एक शाप बन चुका है। यह जल यहां के सैकड़ों लोगों का कल खराब कर चुका है, आज खराब कर रहा है और स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाला कल भी बर्बाद हो सकता है। यहां महिलाएं, पुरुष और बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नोएडा के इस गांव के लोगों का दर्द काफी बड़ा है।

मोमनाथल गांव के 85 प्रतिशत लोग बार-बार पथरी के शिकार हो रहे हैं। इसमें बच्चे और बड़े सभी शामिल हैं। महिलाओं के पीरियड्स 15 दिन तक भी नहीं रुकते हैं। 25 से 40 साल की उम्र तक की 20 प्रतिशत लड़कियों और महिलाओं को पानी से इंफेक्शन के कारण यूट्रस (बच्चेदानी) तक निकलवाना पड़ रहा है। इस गांव में कुल 1200 घर हैं।

गांव में रहने वाली 35 वर्षीय सुमन ने बताया कि उन्हें 15 साल से पथरी है। लंबा इलाज चल रहा है। जब वह शादी करके गांव में आई थीं तब किसी भी तरह की परेशानी नहीं थी। बुखार तक नहीं आता था, लेकिन गांव के ग्राउंड वॉटर के इस्तेमाल से यूरिन इंफेक्शन के साथ ही पथरी, दमा जैसी बीमारी से पीड़ित हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि परिवार में 6 सदस्य हैं और बच्चे-बुजुर्ग सभी को पथरी है।

सुमन ने बताया कि तीन बेटे और एक बेटी है सभी का पथरी का इलाज चल रहा है। 15 साल की बेटी को भी पथरी के साथ यूरिन इन्फेक्शन की समस्या रहती है। इलाज पर लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं। घर में हजारों रुपये की दवाइयां हर महीने आती हैं।

तीस साल की कविता देवी बताती हैं कि उनको और उनके पति को पथरी है। ऑपरेशन करा चुके हैं। 20 एमएम की पथरी निकलवाने के बाद भी पेट दर्द की समस्या बनी रहती है। वहीं घर में 5 लोग हैं, सभी को पेट में दर्द की समस्या रहती है। बेटे भी कई समस्या से जूझ रहे हैं। बार-बार अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। गांव में न डॉक्टर है और न कोई देखता है। छोटे स्तर पर भी कोई स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है।

रामेश देवी बताती हैं कि आधे से ज्यादा गांव की महिलाओं की माहवारी 15 दिनों तक नहीं रुकती है। दो साल से वह खुद बीमार थीं। ऑपरेशन करवाना पड़ा। 15 से 20 दिन तक लगातार माहवारी चलती थी। पेट में दर्द होता था। जिसका इलाज एक निजी अस्पताल में चला। इलाज कराने के लिए पैसे नहीं होते हैं। एक बार ऑपरेशन करा के यूट्रस निकलवा दिया। उसके बाद पथरी हो गई।

रामेश देवी ने कहा कि दूसरी बार ऑपरेशन कराकर पथरी निकलवाई। अब बहू, बेटे और पोतों का डर लगा रहता है। जब गांव में पथरी महामारी की तरह फैल रही है तो वह बच्चों को भी कैसे छोड़ देगी।

ग्रामीण नेम सिंह ने बताया कि गांव के हर घर में पथरी के मरीज मिलेंगे। गांव में न कभी डॉक्टर आते हैं और न सरकार का कोई नेता। गांव में सबमर्सिबल का पानी आता है, लेकिन वह इतना प्रदूषित है कि घरों में जब आता है तो 5 मिनट तक पानी सफेद रंग का आता है। बाद में वह काला दिखता है। लोग बदबूदार और काला पानी पीने को मजबूर हैं। नोएडा का आखिरी गांव होने के कारण इसको अफसरों ने भी नजरअंदाज ही कर दिया है।

हिंडन में ग्रेटर नोएडा से आ रहा नाला मिल रहा है, जो खेतों के पास से होकर गुजर रहा है। यदि उस पानी को खेतों में डालें तो फसल जल जाती है। 20 साल पहले इसी नदी का पानी खेती के दौरान पीते थे तब बिलकुल साफ हुआ करता था अब खेती भी मुंह पर कपड़ा बांधकर करते हैं।

ओखला बैराज में पानी क्वॉलिटी बीओडी जनवरी में 44, फरवरी में 50, मार्च में 53, अप्रैल में 53, मई में 60, जून में 50, सितंबर में 52 मिलीग्राम लीटर दर्ज किया गया। मार्च से अब तक बीओडी के स्तर में काफी वृद्धि हुई है। बीओडी उस स्तर को कहते हैं जो यह बताता है कि पानी में बैक्टीरिया को कितनी ऑक्सीजन मिल रही है। मानकों के अनुरूप बीओडी का स्तर नदी में 3 एमजी प्रति लीटर या उससे कम होनी चाहिए।

जहां यमुना नदी की हालत है उसी तरह हिंडन का स्तर भी बेहद खराब श्रेणी में आ रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में इस साल 2024 में जनवरी में 36,फरवरी में 42, मार्च में 40, अप्रैल में 38, मई में 42, जून में 50, सितंबर में 52, अक्टूबर 44 मिलीग्राम लीटर दर्ज किया गया। जबकि डिजॉल्व ऑक्सीजन 0 एमजी है जोकि निल है। फीकल बैक्टीरिया 79 लाख है जो शरीर में इंफेक्शन पैदा करता है।

सीओडी अक्टूबर में 44 मिलीग्राम लीटर दर्ज किया गया, जबकि डिजॉल्व ऑक्सीजन 0 एमजी है जोकि निल है। एंजियो फीकल बैक्टीरिया 79 लाख है जो शरीर में इंफेक्शन पैदा करता है। 500 एमपीएन होना चाहिए।

सीएमओ डॉ. सुनील कुमार शर्मा से गांव की स्थिति पर बात करने पर उन्होंने बताया कि गांव की जानकारी नहीं है। लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या को देखते हुए जल्द ही कैंप लगाएंगे। सीएचसी और पीएचसी या अन्य स्वास्थ्य की फैसिलिटी देने के लिए ऐसे कोई ऑर्डर आने के बाद हम काम करेंगे।

वायएसएस फाउंडेशन के फाउंडर सचिन गुप्ता ने बताया कि यमुना और हिंडन के प्रदूषण पर लगातार काम कर रहे हैं। पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है। गांव वालों के लिए स्वास्थ्य के कैंप लगाएंगे। डीएम से पाइपलाइन लाइन जल्दी से जल्दी और स्वच्छ पानी की सुविधा करने की अपील की है।