प्राधिकरण का जल शुद्धिकरण पर बड़ा कदम, एसटीपी होंगे तकनीकी रूप से मजबूत

प्राधिकरण का जल शुद्धिकरण पर बड़ा कदम, एसटीपी होंगे तकनीकी रूप से मजबूत

ग्रेटर नोएडा में एसटीपी के ट्रीटेड वाटर को और स्वच्छ बनाने की योजना तैयार, आईआईटी दिल्ली बना रहा डीपीआर

ग्रेटर नोएडा, 24 जुलाई 2025 I ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले पानी को और ज्यादा स्वच्छ और उपयोगी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। इसके तहत सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड किया जाएगा ताकि ट्रीटेड वाटर को साफ पानी के मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।

आईआईटी दिल्ली बना रहा डीपीआर

प्राधिकरण ने इस योजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का कार्य आईआईटी दिल्ली को सौंपा है, जो अगले सप्ताह तक मिल जाने की उम्मीद है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

चार एसटीपी होंगे अपग्रेड

फिलहाल ग्रेटर नोएडा में 4 एसटीपी संचालित हो रहे हैं:

बादलपुर – क्षमता: 2 एमएलडी

कासना – क्षमता: 137 एमएलडी

ईकोटेक-2 – क्षमता: 15 एमएलडी

ईकोटेक-3 – क्षमता: 20 एमएलडी

इन सभी प्लांट्स पर एक अतिरिक्त फिल्टर सिस्टम लगाया जाएगा। इससे ट्रीटेड पानी में मौजूद फीकल मैटर की मात्रा वर्तमान 230 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम की जा सकेगी। यह तकनीक नोएडा के सेक्टर-54 स्थित एसटीपी में पहले से इस्तेमाल हो रही है।

एनजीटी के निर्देश पर कार्रवाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्राधिकरण को आदेश दिया है कि एसटीपी से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता को और बेहतर किया जाए ताकि वह जल प्रदूषण का कारण न बने। इसके बाद प्राधिकरण के सीईओ श्री एन.जी. रवि कुमार ने सीवर विभाग को तकनीक अपनाने के निर्देश दिए हैं।

तकनीकी अपग्रेड के बाद क्या होगा बदलाव

एसटीपी बन जाएंगे ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट (त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली)

पानी में TDS, BOD और COD का स्तर घटकर पेयजल जितना स्वच्छ हो जाएगा

शोधित पानी का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों में भी किया जा सकेगा

जल प्रदूषण पर नियंत्रण मिलेगा

लागत का अनुमान और प्रगति

सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक श्री विनोद शर्मा के अनुसार, तकनीकी अपग्रेड की लागत लगभग 20 लाख रुपये प्रति एमएलडी आने का अनुमान है।

एसीईओ प्रेरणा सिंह का बयान

“सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है। आईआईटी दिल्ली से डीपीआर बनवाई जा रही है। प्राधिकरण का उद्देश्य है कि ट्रीटेड वाटर को इतना स्वच्छ बनाया जाए कि उसका उपयोग उद्योगों में भी आसानी से किया जा सके।”