सोसायटियों में ही होगा कूड़े का निपटारा, देनी होगी जगह, हुआ ये बड़ा फैसला

सोसायटियों में ही होगा कूड़े का निपटारा, देनी होगी जगह, हुआ ये बड़ा फैसला

Greater Noida: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्वच्छता को लेकर बड़ा निर्णय लिया गया है। कूड़ा निस्तारण के लिए सोसायटियों और सेक्टरों को अपने कैंपस में जगह देनी होगी। अथॉरिटी कूड़ा निपटाने वाली कंपनियों का एक पैनल तैयार करेगी। ये कंपनियां ही घरों से कूड़ा उठाएंगी और उसी जगह पर ही उसका निस्तारण करेंगी। इसके लिए अथॉरिटी ने कंपनियों से 19 नवंबर तक आवेदन मांगे हैं। इसके जरिये बल्क वेस्ट जनरेटर्स के लिए डी-सेंट्रलाइज्ड वेस्ट मैनेजमेंट को लागू किया जाएगा।

 ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बड़ी मात्रा में कूड़ा जनरेट करने वाली सोसायटियों, कंपनियों, मॉल और स्कूल-कॉलेज को खुद इसका निस्तारण करने का आदेश दिया हुआ है। इसका पालन न करने पर अथॉरिटी ने कई बल्क कूड़ा जनरेटरों पर भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया है। वहीं सोसायटियों का तर्क रहता है कि उन्हें इस तरह का निस्तारण करने वाली कंपनियां और एजेंसी नहीं मिल पा रही हैं।

लिहाजा अथॉरिटी ने ऐसी कंपनियों का एक पैनल बनाने का फैसला लिया है। इन कंपनियों में से किसी एक को चुनकर उससे कूड़ा निस्तारण करा सकते हैं। हालांकि ये अनिवार्य नहीं है कि इन्हीं से ये काम कराया जाए। अगर कोई बाहरी एजेंसी से भी कूड़ा निस्तारण कराना चाहता है तो वह इसके लिए स्वतंत्र रहेगा।

स्वच्छ भारत मिशन को कामयाब बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने ये पहल की है। साथ ही अथॉरिटी अपनी स्वच्छता रैंकिंग को सुधारना चाहती है। शहर के कूड़े का निस्तारण अथॉरिटी के लिए चुनौती बन गया है। कई जगह कूड़े के पहाड़ बन गए हैं, जिसे निस्तारित कराया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण केंद्रों के पास जगह कम है। लिहाजा अलग-अलग इलाकों में यानी डी-सेंट्रलाइज्ड तरीके से कूड़ा निस्तारण कराया जाएगा।

वैज्ञानिक और आधुनिक तरीके से कूड़े का निपटारा कराया जाएगा। इसके तहत गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा जाएगा। प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकल कराया जाएगा। संबंधित कंपनी ही घर-घर से कूड़ा उठवाएगी। अभी अथॉरिटी की ओर से हायर एजेंसी कूड़ा उठा रही है, जो निवासियों से कोई शुल्क नहीं लेती। इसकी वजह है कि अथॉरिटी ने प्लॉट आवंटन के समय वन टाइम चार्ज लिया हुआ है।

यह कंपनी हॉर्टिकल्चर और गार्डन वेस्ट को भी कलेक्ट कर निस्तारित करेगी। इन सबके लिए संबंधित आरडब्ल्यूए, सोसायटी और अन्य बल्क वेस्ट जनरेटर्स को कैंपस में जगह मुहैया करानी होगी। अथॉरिटी की तरफ से कंपनी को कहीं कोई जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। गीला और सूखा कूड़ा कवर्ड वाहन से ही भेजा जाएगा। कूड़ा निस्तारण के बाद बनने वाले खाद और रीसाइकल से बने उत्पादों को संबंधित कंपनी बेच सकेगी।

ये कंपनियां 50 माइक्रोन से कम का प्लास्टिक कचरा नहीं उठाएंगी। अगर कोई इस तरह की प्लास्टिक यूज कर रहा है तो उसकी सूचना अथॉरिटी को दी जाएगी। ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं निस्तारण के बाद बचे अपशिष्ट को अथॉरिटी को सौंपा जाएगा। अथॉरिटी ही इसे डंप कराएगी। इसके लिए कंपनी की तरफ से अथॉरिटी को पेमेंट करनी होगी। ये कंपनी शहर में कूड़े को लेकर सर्वे भी कर सकेंगी।

अथॉरिटी अधिकारियों के अनुसार, सोसायटियों के साथ ही सरकारी विभाग या उपक्रम, निजी व सरकारी कंपनियां, अस्पताल, नर्सिंग होम, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संस्थान, हॉस्टल, होटल, कमर्शल बिल्डिंग, बाजार, पूजा स्थल, स्टेडियम और खेल परिसर में 100 किलो से अधिक कूड़ा हर दिन निकलता है।

लगभग 222.22 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले ग्रेटर नोएडा को 8 जोन में बांटा गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रेटर नोएडा की जनसंख्या लगभग 1 लाख थी, लेकिन अब इसके करीब 10 लाख होने का अनुमान है। लिहाजा कूड़ा निस्तारण एक चुनौती बन गया है। ऐसे में अथॉरिटी को कंपनियां तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी अब शहर में पीने के पानी, सीवरेज और ड्रेन नेटवर्क की स्टडी कराएगी। इससे लीकेज, फॉल्ट आदि के बारे में सही समय पर पता चल सकेगा और मरम्मत में आसानी रहेगी। स्टडी के लिए अथॉरिटी कंसल्टेंट तैनात करेगी। मास्टरप्लान 2021 और 2041 के तहत कंसल्टेंट ये काम कराएगा। इस पर अथॉरिटी तीन करोड़ रुपये खर्च करेगी। अथॉरिटी ने कंसल्टेंट की तलाश के लिए निविदा जारी कर दी है। 28 नवंबर तक आवेदन लिए जाएंगे। दो दिसंबर को प्री क्वॉलिफिकेशन बिड खोली जाएंगी।