नोएडा में POSH का पहला ऐक्शन, महिला कर्मी का शोषण करने वाला यमुना अथॉरिटी का मैनेजर सस्पेंड

Noida: सरकारी और निजी संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को शोषण से बचाने व सुरक्षित माहौल देने के लिए साल 2013 से देशभर में लागू हुए POSH (प्रिवेंशन ऑफ सेंक्सुअल हरैसमेंट) एक्ट के तहत जिले में पहली कार्रवाई हुई है। इस मामले में यमुना अथॉरिटी में कार्यरत एक महिला कर्मचारी का शोषण करने के आरोप में प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है। घटना की शिकायत के बाद यमुना अथॉरिटी कार्यालय में यौन उत्पीड़न रोकथाम के लिए बनी समिति ने मामले की जांच की और जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रबंधक को निलंबित करने की संस्तुति सीईओ ने शासन को भेजी थी। जिसके बाद शासन ने आरोपी प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि निलंबन की कार्रवाई के बाद भी आरोपी प्रबंधक पीड़ित महिला को धमकी भरे मेसेज भेजता रहा। जिसके बाद सीईओ ने प्रबंधक को बर्खास्त करने की संस्तुति शासन को भेज दी है।
यमुना अथॉरिटी के कार्यालय में एक महिला कर्मचारी का प्रबंधक द्वारा शोषण किए जाने का आरोप है। महिला को मोबाइल पर अश्लील मेसेज भेजने, उसे डराने-धमकाने और दुर्व्यवहार करने के भी आरोप हैं। महिला का आरोप है कि हद तो उस समय हो गई जब 18 अप्रैल को उनके साथ धक्का-मुक्की भी की गई। इस घटना में महिला के सिर पर चोट आई थी। पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाए गए। ऐसे में उनके लिए दफ्तर में काम करना मुश्किल होता जा रहा था। अपनी परेशानी को बढ़ती देख महिला ने अथॉरिटी के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने पूरे मामले की शिकायत की। सीईओ ने इसे POSH एक्ट के तहत कार्यालय में बनी महिला समिति की नोडल अधिकारी स्मिता सिंह और पीठासीन अधिकारी रेणुका सिंह से पूरे मामले की जांच कराई। जांच में महिला कर्मचारी के आरोप सही पाए गए, जिसके बाद प्रबंधक को निलंबित करने की संस्तुति रिपोर्ट सीईओ ने शासन को भेज दी थी। शासन ने इस मामले में महिला कर्मचारी के साथ हुए दुर्व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए आरोपी प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। आरोप यह भी है कि कार्रवाई के बाद भी आरोपी ने पीड़िता को धमकी दी है कि वह बहाली के बाद उन्हें सबक सिखाएगा। वह इस तरह के मेसेज लगातार भेज रहा था। महिला ने फिर से इस बात की शिकायत सीईओ से की तो उन्होंने आरोपी प्रबंधक को बर्खास्त करने का संस्तुति रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
कार्यालय में महिला कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महिला की शिकायत मेरे पास आने के बाद पूरे मामले की जांच विशाखा गाइडलाइन के आधार पर बने और 2013 से देशभर में लागू हुए POSH एक्ट के तहत बनी महिला समिति से कराई गई थी। जिसमें प्रबंधक को दोषी पाया गया है। इसी के चलते निलंबन की यह कार्रवाई की गई है।
-"डॉ. अरुणवीर सिंह, सीईओ, यमुना अथॉरिटी"
साल 2013 से इस एक्ट के लागू होने के बाद यह अनिवार्य किया गया है कि हर सरकारी व निजी संस्थान में प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरैसमेंट एक्ट के तहत महिला यौन उत्पीड़न रोकथाम समिति बनाई जाए, ताकि महिला कर्मचारी अपने साथ होने वाले इस तरह के शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें और सुरक्षित महसूस कर सकें। जिले में मुश्किल से 30-40 प्रतिशत संस्थानों में ही इस तरह की समिति बनी हुई है। संस्थान की समिति से यदि महिला को न्याय नहीं मिलता है तो वह जिला स्तर पर डीएम की मॉनिटरिंग में बनी समिति में शिकायत कर सकती है।
बता दें कि साल 2019 में तत्कालीन डीएम ने इस एक्ट को सभी संस्थानों में लागू कराने व समिति बनवाने के लिए बेहतर प्रयास किया था। जिले में करीब 60-65 संस्थानों में इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम किए गए। जिले में स्थित एमएनसी में कार्यरत महिलाओं को इसके लिए जागरूक किया गया, ताकि वे इस तरह के शोषण को न सहें और उसके खिलाफ आवाज उठाएं। लेकिन 2020 के बाद से इस एक्ट को लेकर जमीनी स्तर पर किया जा रहा काम ठंडा पड़ गया। 2020 से 2022 तक जिला स्तर पर बनी इस समिति की एक भी मीटिंग नहीं हुई। करीब 8-9 महीने पहले जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने जिला स्तर पर बनी समिति को थोड़ा सक्रिय किया लेकिन कार्रवाई होने का जिले में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया था। यमुना अथॉरिटी ने इस एक्ट के तहत यह पहली कार्रवाई जिले में हुई है।