दस हजार से ज्यादा पीजी,पंजीकृत एक भी नही,प्रशासन को खबर नही!

दस हजार से ज्यादा पीजी,पंजीकृत एक भी नही,प्रशासन को खबर नही!

Noida:शहर में पिछले पांच सालों में पीजी की संख्या पांच गुना बढ़ गई है। इसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा पीजी लड़कियों के हैं। इनमें से कोई भी पंजीकृत नहीं है, इसलिए इनकी सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में सेक्टर-126 में छात्राओं से अभद्रता पर पीजी संचालक पर एफआईआर दर्ज की गई थी। ऐसे कई मामले और सामने आ चुके हैं। इन घटनाओं के बाद लड़कियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। प्रशासन का कहना है कि पर्यटन विभाग में पीजी का पंजीकरण होता है। जब लखनऊ पर्यटन विभाग में बात की गई तो उनका कहना है कि नोएडा से किसी भी पीजी का पंजीकरण नहीं हुआ है। इस समय जिले में करीब दस हजार पीजी चल रहे हैं। जब इस बारे में पीजी संचालकाें से बात करनी चाही तो कोई तैयार नहीं हुआ।

सेक्टर-12, 22, 34, 55, 56, 61, 62, 34, 71 में सैकड़ों की संख्या में पीजी चल रहे हैं। इन सेक्टरों की लोकेशन बेहतर होने की वजह से बाहर से आए लोग इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा नयाबांस, मूमरा, नवादा में भी हर गली में एक से दो पीजी हैं। पीजी देने से पहले संचालक सुरक्षा के तमाम दावे करते हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर गार्ड तक नहीं रहता है। कौन रहने आ रहा है उसका वेरिफिकेशन तक नहीं किया जा रहा है।

सामान्य रूप से सात से आठ हजार रुपये में पीजी में रहने के साथ खाना की सुविधा भी मिल जा रही है। इसलिए लड़कियां होस्टल, फ्लैट को छोड़कर पीजी में रहने को तवज्जो दे रहे हैं। इनका कहना है अगर फ्लैट लेते हैं तो 12 से 15 हजार रुपये का खर्चा आएगा। उसके बाद काम के लिए घरेलू सहायिका अलग से ढूंढनी पड़ेगी।

पीजी की मांग को देखते हुए लोगों ने किराए पर बिल्डिंग लेकर पीजी शुरू कर लिए हैं। मोटे मुनाफे की वजह से पिछले कुछ सालों में ऐसा करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

बड़ी संख्या में लड़कियां नौकरी और पढ़ाई के लिए बाहर से आकर पीजी में रह रही हैं। इनकी सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। आए दिन अखबारों में पढ़कर डर भी लगता है, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। मैं सिर्फ सेफ्टी को लेकर ही चार पीजी बदल चुकी हूं। पीजी देने के दौरान तो संचालक सुरक्षा की बात करते हैं, लेकिन फिर लापरवाही साफ नजर आती है।