7 करोड़ के हीरे तो काली कमाई की खुरचन भर... मोहिंदर सिंह बिल्‍डरों पर थे मेहरबान

7 करोड़ के हीरे तो काली कमाई की खुरचन भर... मोहिंदर सिंह बिल्‍डरों पर थे मेहरबान

Noida:  ईडी की छापेमारी के बाद चर्चा में आए रिटायर आईएएस अफसर मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में नोएडा, ग्रेनो व यमुना अथॉरिटी एरिया में अरबों की जमीन बिल्डरों को कौड़ियों के भाव आवंटित कर दी गई थी। बिल्डरों से बकाया वसूलने की कोशिश तक नहीं हुई। नतीजा ये हुआ है फ्लैट के नाम पर पब्लिक से पैसा लेने के बाद नामी बिल्डर कंपनियां दिवालिया हो गईं। बायर आज भी घर का इंतजार कर रहे हैं। पीड़ित घर खरीदार आर्थिक रूप से टूट चुके हैं तो उधर मोहिंदर सिंह व उनके सहयोगियों के ठिकानों से 12 करोड़ रुपये के हीरे, सात करोड़ के जेवर और एक करोड़ कैश मिला है। इसमें सात करोड़ के हीरे मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित घर से मिले हैं। वह नोएडा में बने अवैध ट्विन टावर मामले में भी आरोपी हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल के भ्रष्टाचार और जलवों को लेकर चर्चाओं का दौर चल निकला है।

मोहिंदर सिंह को मायावती सरकार का सबसे ताकतवर आईएएस अफसर माना जाता है। उनका रुतबा यह था कि वह गौतमबुद्धनगर की तीनों अथॉरिटी के एक साथ चेयरमैन रहे। जमीनों के आवंटन और विकास कार्यों के ठेकों की फाइल मोहिंदर सिंह के इशारे पर ही सरकती थी। उस समय रिश्वत के रेट हर किसी की जुबान पर थे। कहा जाता है कि ये फिक्स रेट देने के बाद ही जमीन से लेकर टेंडर तक का आवंटन होता था।

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सरदार मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और चेयरमैन रहे। वह यूपी कैडर के आईएएस हैं। मोहिंदर सिंह सुपरटेक ट्विन टावर मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं। विजिलेंस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया है। बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों और पार्कों के निर्माण के नौ हजार करोड़ रुपये के घोटाले में भी इनका नाम आ चुका है।

नोएडा अथॉरिटी के पुराने कर्मचारियों व अधिकारियों की मानें तो सात करोड़ के हीरे तो काली कमाई की खुरचन मात्र है। बहुत बड़े घोटाले उनके कार्यकाल में किए गए। यह रकम अरबों रुपये में हो सकती है। नोएडा में बिल्डरों को सस्ते दर और बेहद कम अलॉटमेंट मनी यानि जमीन की कीमत के मात्र 10 प्रतिशत पर ही बड़े पैमाने पर जमीन आवंटन किया गया। यह एक बड़ा घोटाला है। इसके एवज में एक बड़ी रकम ली जाती थी, जिसकी बंदरबांट अधिकारियों से लेकर नेताओं तक में होती थी। उसी काल में यादव सिंह जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी भी पनपे। यादव सिंह को भी तीनों अथॉरिटी का चार्ज दे दिया गया था।

अथॉरिटी की इस नीति के चलते बिल्डरों को हजारों वर्ग मीटर जमीन का आवंटन बेहद कम रकम लेकर दे दी गई थी। उसके बाद बिल्डरों ने किस्त देनी बंद कर दीं, लेकिन अफसरों की मेहरबानी के चलते उनका आवंटन रद्द करने की जहमत नहीं उठाई गई। नतीजा ये हुआ है कि बिल्डरों पर नोएडा अथॉरिटी के करीब 9 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। करीब दस बिल्डर दिवालिया घोषित हो चुके हैं। ऐसे में ये रकम मिलनी बेहद मुश्किल है।

ऐसे बिल्डरों में आम्रपाली और सुपरटेक का नाम सबसे बड़ा है।आम्रपाली पर नोएडा अथॉरिटी के ही करीब 4500 करोड़ रुपये बकाया हैं। सुपरटेक पर 3062 करोड़ रुपये का बकाया है। लॉजिक्स, थ्रीसी, यूनिटेक, जेपी आदि पर भी कई हजार करोड़ रुपये का तीनों अथॉरिटी का बकाया है। इसके चलते तीनों ही अथॉरिटी की आर्थिक स्थिति खराब है। उस समय हालत ये हो गई थी कि यमुना अथॉरिटी इतने घाटे में चली गई कि उसे ग्रेनो में मर्ज करने की तैयारी होने लगी थी।

जमीन आवंटन के अलावा दूसरा खेल विकास कार्यों के टेंडर देने में होता था। उस समय एक ही चर्चा थी कि विकास कार्य की कुल लागत का छह प्रतिशत अंडर टेबल देकर कोई भी आवंटन करा सकता है। टेंडर और आवंटन के लिए अपने खास मैनेजर स्तर के अफसरों को लगाया हुआ था, जिनकी पावर उस समय तैनात रहने वाले सीईओ से अधिक रहती थी। कहा जाता है कि तब बगैर इस छह प्रतिशत के न कोई टेंडर आवंटित होता था और न ही प्लॉट का आवंटन होता था।

बताया जा रहा है कि मोहिंदर सिंह की प्रॉपर्टी नोएडा से लेकर गाजियाबाद, गुड़गांव, गोवा, चंडीगढ़, मुंबई से लेकर दुबई तक में है। नोएडा के चार खास लोग इन प्रॉपर्टी की देखरेख करते हैं। जांच एजेंसियों से बचने के लिए मोहिंदर सिंह विदेश में रह रहे हैं। चर्चा है कि मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में उनके खास अफसरों व चहेतों के घर नोट गिनने के लिए मशीनें लगी हुईं थीं। काली कमाई को छुपाने के लिए ब्लैक मनी से हीरे खरीदे जाते थे। अब मोहिंदर सिंह व उसके करीबियों के घर से 12 करोड़ के हीरे मिलने के बाद इसकी पुष्टि हुई है।