नोएडा सीट पर मतदान प्रतिशत बढ़ाना आयोग की बड़ी चुनौती

Noida: लोकसभा का चुनाव शुरू हो गया है। पूरे देश की तरह से ही नोएडा (गौतमबुद्धनगर) लोकसभा सीट पर भी प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों के सामने जहां चुनाव जीतने की बड़ी चुनौती है। वहीं नोएडा की सीट पर मतदान का प्रतिशत बढ़ाना चुनाव आयोग तथा जिला प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में नोएडा सीट पर 59.60 प्रतिशत वोट पड़े थे। अब सवाल यह है कि क्या नोएडा का जिला प्रशासन और चुनाव आयोग इस बार नोएडा (गौतमबुद्धनगर) सीट पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा पाएगा ?
आपको बता दें कि गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट नोएडा सीट के नाम से प्रसिद्ध है। पूरी गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट के क्षेत्र में पांच विधानसभा सीट आती हैं। इस क्षेत्र में नोएडा विधानसभा, दादरी विधानसभा तथा जेवर विधानसभा गौतमबुद्धनगर जिले की विधानसभा सीट हैं। वहीं सिकन्द्राबाद तथा खुर्जा विधानसभा सीट बुलंदशहर जिले की सीट हैं। इन पांच विधानसभा सीटों को मिलाकर गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट बनाई गई है। वर्ष-2019 के लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र में 59.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस मतदान में नोएडा विधानसभा क्षेत्र में 50.72 प्रतिशत, दादरी विधानसभा क्षेत्र में 61.16 प्रतिशत, जेवर विधानसभा क्षेत्र में 66.78 प्रतिशत, खुर्जा विधानसभा क्षेत्र में 57.3 प्रतिशत तथा सिकन्द्राबाद क्षेत्र में 58.7 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था।
गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र में इस बार 26 लाख रजिस्टर्ड मतदाता हैं। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा जैसे प्रमुख शहरों में फैली गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर मतदान का प्रतिशत बढ़ाना चुनाव आयोग तथा जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती का काम होगा। चुनाव आयोग के निर्देश पर नोएडा के जिला प्रशासन ने चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास भी शुरू कर दिए है। अलग-अलग माध्यमों से मतदाताओं को जागरूक करके बताया जा रहा है कि मतदान करना प्रत्येक भारतीय का राष्ट्रीय फर्ज है। साथ ही नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा शहर की बहुमंजिला सोसायटियों के मतदान केन्द्र नागरिकों के घरों के बेहद निकट उनकी सोसायटियों में बनाने का महत्वपूर्ण कदम भी उठाया गया है।
सबको पता है कि नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा शहर के लोग मतदान के दिन वोट डालने की बजाय छुटटी मनाना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में मतदान का प्रतिशत बढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती नोएडा के जिला प्रशासन के सामने मौजूद है।