स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को सही पोषण और व्यायाम की जागरूकता के लिए कार्यक्रम विकसित करेगी सरकार...

स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को सही पोषण और व्यायाम की जागरूकता के लिए कार्यक्रम विकसित करेगी सरकार...

दिल्ली:  देश में लगभग एक चौथाई किशोर मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। 10 प्रतिशत बच्चे और किशोर प्री-डायबिटिक मधुमेह, यानी मधुमेह का शिकार हैं, और 5 प्रतिशत में उच्च रक्तचाप की समस्या है। ऐसे में भारत सरकार स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य पर जागरुकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम बनाने जा रही है। यह नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल की बात है। शुक्रवार को फिक्की फेडरेशन हाउस में एक सार्वजनिक सभा में वह बोल रहे थे। कार्यक्रम का संचालन फिक्की हेल्थ सर्विस समिति के संयोजक और महाजन इमेजिंग के संस्थापक डॉक्टर हर्ष महाजन ने किया था। 

इस दौरान, डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम बनाए जाएंगे, जिसमें समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करना, व्यायाम और योग करना शामिल होगा। स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को मधुमेह, मोटापा और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी जागरूक करना चाहिए। लड़कियों को HPV टीकाकरण का महत्व समझना महत्वपूर्ण है। 

डॉक्टर वीके पॉल ने बताया कि सभी नए एम्स फैमिली मेडिसिन का कोर्स शुरू करने जा रहे हैं। अभी सिर्फ तीन ही मेडिकल कॉलेजों में यह कोर्स उपलब्ध है। ऐसे में प्राइवेट कॉलेजों को भी इस कोर्स शुरू करने के लिए आगे आना चाहिए। 

दरअसल, बच्चों, व्यस्कों और बुजुर्गों का इलाज करने के लिए अस्पतालों में कई विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। MD Family Medicine पाठ्यक्रम का ध्यान सभी उम्र के लोगों को व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने पर होगा। यानी फैमिली मेडिसन के डॉक्टरों को सभी जानकारी मिलेगी। वे बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और सभी की देखभाल करने में सक्षम होंगे। फैमिली मेडिसिन में जनरल मेडिसिन, बेसिक सर्जरी, गायनोकोलॉजी और पीडियाट्रिक्स आदि शामिल हैं। फैमिली डॉक्टर हर बीमारी के बारे में जानते हैं। और वे लोगों को सामान्य चिकित्सा परामर्श देने में सक्षम हैं क्योंकि वे डॉक्टर परिवार की मेडिकल इतिहास से अच्छी तरह परिचित हैं।

कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ डॉक्टर हर्ष महाजन ने कहा कि देश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण करने के लिए सरकारी और निजी चिकित्सा क्षेत्रों को मिलकर काम करना चाहिए। उनका कहना था कि टियर 2 और 3 शहरों में भी बड़े कॉरपोरेट अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएं शुरू हो रही हैं, लेकिन यहां स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए आसानी से जमीन न मिलना एक बड़ी चुनौती है। पारस अस्पताल के सीईओ डॉक्टर धर्मेंद्र नागर और डीपीएस स्कूल सोसाइटी के प्रमुख वीके शुंगलू भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।