अब नोएडा, ग्रेनो व यीडा में चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें, टेंडर जारी

Greater Noida: नोएडा, ग्रेनो, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन सेवा को 500 इलेक्ट्रिक बसें उतारने की तैयारी एक कदम आगे बढ़ी हैं। शनिवार को प्रदेश के शहरी परिवहन निदेशालय ने बसें लाने और संचालन के लिए एजेंसी चयन का टेंडर जारी कर दिया है। 16 मई तक एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं। टेंडर में जो भी एजेंसी सबसे कम दर पर बस संचालन के लिए तैयार होगी उसे जिम्मा सौंपा जाएगा। बसों में यात्रियों के लिए किराए की दरें अभी तय नहीं हुई हैं। लेकिन निदेशालय से लेकर शासन स्तर के अधिकारियों ने यह तय कर दिया है कि डीटीसी के किराए के बराबर ही रखा जाए।
निदेशालय की तरफ से दो तरह की इलेक्ट्रिक बसों की मांग की गई है। पहली 9 मीटर की होगी दूसरी 12 मीटर की। 9 मीटर लंबी बस की क्षमता 28 व एक दिव्यांग यात्री व एक चालक की होगी। वहीं, 12 मीटर लंबी बस में क्षमता चालक व दिव्यांग यात्री को छोड़कर 36 यात्रियों की होगी। एजेंसी को डिपो बनाकर तीनों प्राधिकरण को देना होगा। इसके अलावा देखरेख व अन्य जरूरी काम एजेंसी खुद करेगी। संचालन और रखरखाव की फीस में प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
बस सेवा का संचालन शहरी परिवहन निदेशालय की देखरेख में होगा। निदेशालय एजेंसी चयन के बाद रूट और बसों की संख्या को लेकर अध्ययन करेगा। इस बार शासन स्तर से ही तीनों प्राधिकरण क्षेत्र में सिटी बस सेवा की तैयारी है। तीनों प्राधिकरणों में इस सार्वजनिक परिवहन सेवा को ग्रास कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल पर संचालित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया, इसमें पूरी परियोजना पर आने वाली लागत का वहन एजेंसी को करना होगा। 500 बसें खरीदकर उनका संचालन करने के लिए जरूरी संसाधन व अन्य खर्च जोड़कर पूरी परियोजना करीब 675 करोड़ रुपये अनुमानित है।
टेंडर में जो एजेंसी सबसे कम दर पर बसों के संचालन को तैयार होगी उसे जिम्मा दिया जाएगा। एजेंसी को 72000 किलोमीटर प्रति वर्ष बस संचालन देने का करार तीनों प्राधिकरण से होगा। 60 से 65 रुपये प्रति किमीटर छोटी बसों की और बड़ी बसों की दरें 70 से 75 रुपये प्रति किमी की मांग पिछले टेंडर जो दूसरे शहरों में हुए हैं उनमें सामने आई है। करार के तहत यात्रियों से वसूले जाने वाले किराए से यह दरें 40 से 45 रुपये किमी पर आ जाएंगी। यह अंतर धनराशि वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की होगी जिसका भुगतान तीनों प्राधिकरण बस संख्या के अनुपात में करेंगे। एजेंसी को 6 महीने के अंदर इसका भुगतान करना होगा।