गाज़ियाबाद मे ग्राहकों के 10 करोड़ रुपये लेकर निधि कंपनी फरार
Delhi NCR: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। गाजियाबाद में एक निधि कंपनी सैकड़ों ग्राहकों के करीब 10 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गई है। सोमवार को जब ग्राहकों को इसका पता लगा तो उन्होंने जमकर हंगामा किया। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत कराया। इस मामले में विजय नगर थाने में निधि कंपनी के मैनेजर के खिलाफ शिकायत दी गई है। एसीपी प्रियाश्री पाल ने बताया कि इस मामले में शिकायत के आधार पर केस दर्ज तीन कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, दो साल पहले प्रताप विहार में खुली रॉयल फाइन इंडिया निधि लिमिटेड के नाम पर कई मार्केट में जाकर प्रचार किया गया था। इस दौरान लोगों को सेविंग स्कीम के बारे में जानकारी दी गई थी। इसमें 100 रुपये लेकर 1500 रुपये तक प्रतिदिन देने के बाद 540 दिनों के बाद काफी फायदे के साथ रुपये लौटाने की बात की गई थी। हर पैकेज के लिए अलग फायदा देने की बात थी।
लोगों ने इस स्कीम में रुपये दिए थे, लेकिन समय पूरा होने के बाद जब कई ग्राहक कंपनी के ब्रांच में पहुंचे तो लोगों को पता चला कि मैनेजर समेत अन्य कर्मचारी फरार हैं। पुलिस का कहना है कि अभी तक की जांच में पता चला है कि कंपनी करीब 10 करोड़ रुपये लेकर फरार हुई है।
इस मामले में राज चौपला पर दुकान चलाने वाले सिद्धार्थ ने बताया कि आरोपी कंपनी के कर्मचारी मार्केट में कई लोगों के पास गए थे। जिसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ इस निधि कंपनी की स्कीम में 7 लाख रुपये लगाए थे। कंपनी की तरफ से उन्हें एक चेक दिया गया था। यह चेक लगाने के बाद बाउंस हो गया। जिसके बाद वह सोमवार को निधि कंपनी के ऑफिस पहुंचे तो कई लोग अपने रुपये लेने के लिए आए थे। इस प्रकार बजरिया में दुकान चलाने वाले हनी ने बताया कि उन्होंने 1 लाख 16 हजार रुपये दिए थे, उन्हें सोमवार को चेक देने के लिए बुलाया था, लेकिन वहां कोई मिला ही नहीं।
इसी कंपनी में निवेश करने वाले ललित ने बताया कि उन्होंने निधि कंपनी में करीब 4 लाख रुपये जमा किए थे। इस दौरान ब्रांच से लोगों को पासबुक दी गई थी। इसके अलावा उनकी टीम ही हर दिन रुपये कलेक्ट करने के लिए आती थी। हर पेमेंट का रिकॉर्ड मैसेज के माध्यम से मिलता था। जिससे लोगों को कभी उन पर शक नहीं हुआ। लोगों ने बताया कि ब्रांच में करीब 20-25 लोग काम करते हुए दिखते थे। वह कारोबारियों की मदद करने की बात किया करते थे।
इस निधि कंपनी ने बजरिया, तुराबनगर, चौपला, डासना गेट समेत मार्केट एरिया को टारगेट किया था। यहां कारोबारियों ने रुपये लगाने के साथ-साथ उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने रुपये लगाए थे। आरोपियों ने सभी प्रकार के लोगों के लिए अलग-अलग स्कीम बनाई थी। जिसमें सेविंग के नाम पर 100 ले रहे थे। इस दौरान लोगों को आगे होने वाले कई फायदों के बारे में बताया जाता था। इसमें महिलाओं ने भी अपनी सेविंग से रुपये देने शुरू किए थे। अभी सभी धोखाधड़ी के बाद पुलिस के पास पहुंचे।
एक निधि कंपनी गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) से अलग होती है। अगर आसान शब्दों में कहें तो निधि कंपनियां अपने शेयरधारकों या सदस्यों के साथ अपने सदस्यों के आपस में फायदे के उद्देश्य के लिए काम करती है। एक निधी कंपनी सिर्फ अपने सदस्यों की ओर से जमा रकम स्वीकार कर सकती है। वहीं, मांगने पर ही उन्हें धनराशि उधार दी जाती है। जी हां, ये कंपनियां लोन देने का काम नहीं कर सकती है। इसका मकसद अपने सदस्य समुदाय के अंदर धन की बचत और उपयोग की कला को बढ़ावा देना होता है। निधि कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक के लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है।