ग्रेटर नोएडा दुनिया का 11वां सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर
Greater Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा में पिछले करीब 8-10 सालों से प्रदूषण कंट्रोल का हल्ला मच रहा है। हर साल ग्रैप लागू किया जाता है। संबंधित विभाग अपनी-अपनी जिम्मेदारी से जुड़े कामों को पूरी मुस्तैदी से करने के दावे करते हैं, लेकिन हाल ही में आई विश्व स्तरीय संस्था आईक्यू एयर की रिपोर्ट ने प्रदूषण कंट्रोल के सभी दावों की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा विश्व का 11वां व नोएडा विश्व का 26वां सबसे प्रदूषित शहर है। अब सवाल यह है कि प्रॉपर्टी के मामले में महंगाई की ऊंची छलांग लगा रहे इन शहरों की आबोहवा जब रहने लायक ही नहीं रहेगी, तो आगे इन शहरों का भविष्य क्या होगा, यह बेहद चिंता का विषय है।
विश्व स्तरीय संस्था आईक्यू एयर की छठी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के आंकड़े हाल ही में जारी हुए हैं। खुलासा हुआ है कि विश्व स्तर पर भारत तीसरा सबसे प्रदूषित देश है। नंबर एक पर बंग्लादेश और दूसरे पर पाकिस्तान है। वहीं विश्व के टॉप 50 सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें तो इनमें 42 शहर अकेले भारत के शामिल हैं।
पूरे साल ही ग्रेटर नोएडा का प्रदूषण देश के टॉप शहरों की श्रेणी में शामिल रहता है। बारिश के दिनों में या हवा की गति बढ़ने के दौरान भले ही राहत बनी रहे, लेकिन अक्टूबर से लेकर फरवरी तक की बात करें तो अक्सर ग्रेटर नोएडा टॉप प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल रहता है। जानकारों की मानें तो इसका सबसे बढ़ा कारण ग्रेनो वेस्ट में बढ़ता ट्रैफिक का दवाब और चारों ओर चलता निर्माण कार्य है। सड़कों पर उड़ती धूल, सेंट्रल वर्ज का डवलप न होना, पेड़-पौधों व पार्कों का डवलपमेंट न होना आदि कई कारण हैं।
पिछले 8-10 सालों से ग्रेनो वेस्ट और ग्रेटर नोएडा में निर्माण कार्य चल रहा है और अभी भी इसकी यही रफ्तार बनी हुई है। कहीं पर निर्माण कार्य के दौरान मानकों का पालन नहीं होता है। कभी-कभी दिखावे के लिए या चालान से बचने के लिए थोड़ा बहुत ग्रीन नेट लगा नजर आ जाता है लेकिन इस तरह के दिखावे का प्रदूषण कंट्रोल पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
पिछले 5-7 सालों के आंकड़े देख लिए जाएं तो जिले में 50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं, लेकिन इनमें से कितने जीवित बचे हैं, इसका किसी विभाग के कोई रेकार्ड नहीं है। यही वजह है सड़कों पर व ग्रीन वेल्ट में उस तरह की हरियाली नजर नहीं आती है, जितने पेड़ हर साल लगाए जा रहे हैं। खासकर ग्रेनो वेस्ट की सड़कों पर पेड़ नहीं नजर आते हैं।