गाजियाबाद मे वाहन के साथ आने वाले नाबालिग स्टूडेंट को स्कूल में नहीं मिलेगी एंट्री
Ghaziabad: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नाबालिगों के वाहन चलाने को लेकर अब सख्त कार्रवाई की तैयारी है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहनों के साथ स्कूल में एंट्री नहीं मिलेगी। शासन के आदेश के बाद स्कूलों में अब सख्ती कर दी गई है। हालांकि, यह नियम पहले से ही था। नाबालिग अगर वाहन चलाता मिलता है तो पैरंट्स पर 35 हजार का जुर्माना, 3 साल कैद या दोनों हो सकते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) के आदेश बाद स्कूलों में ऐसे स्टूडेंट्स को जागरूक भी किया जाएगा। उन्हें पार्किंग की सुविधा भी नहीं मिलेगी। साइकल के अलावा अगर किसी स्कूल में स्टूडेंट की बाइक, स्कूटी या कार को पार्किंग मिलती है तो ऐसे स्कूलों पर भी प्रशासन कार्रवाई करेगा। DIOS राजेश श्रीवास ने बताया कि इस आदेश के बाद सभी स्कूल निरीक्षक को नियम नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है। वे भी खुद टीम के साथ औचक निरीक्षण करेंगे, ताकि लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई हो सके।
अभी तक ट्रैफिक पुलिस ही अपने स्तर पर कार्रवाई करती थी। अब स्कूलों की तरफ से नाबालिग बच्चों को वाहन नहीं देने के संबंध में मेसेज किए जाएंगे। डीआईओएस के अनुसार, स्कूलों की तरफ से कही गई बातों को पैरंट्स के साथ बच्चे भी गंभीरता से लेते हैं। बात नहीं मानने वाले पैरंट्स पर पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग अपने स्तर पर एक्शन लेगा।
एडीसीपी ट्रैफिक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस लगातार स्कूलों में छात्रों को जागरूक कर रही है। नाबालिग बच्चे को वाहन देने पर एमवी एक्ट 188 की धारा 199(क) और 336 के साथ केस दर्ज किया जा सकता है। फरवरी से लेकर अब तक पुलिस अभियान चलाकर 100 से अधिक पैरंट्स और दूसरे वाहन चालकों पर केस दर्ज कर चुकी है।
एडीसीपी ट्रैफिक ने बताया कि नाबालिग को वाहन देने पर उसके मालिक को 3 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ 25 हजार रुपये का चालान किया जाता है। पैरंट्स को इस नियम के बारे में जानकारी भी दी जा रही है। ट्रैफिक पुलिस की टीम विभिन्न स्कूलों में नियम बता रही है।
इस प्रकार के मामलों में जुर्माने और सजा के साथ पुलिस वाहन को जब्त करती है। इसकी रिपोर्ट लगने के बाद वाहन का रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए निरस्त तक हो सकता है। इस कार्रवाई के बाद अगर वह वाहन समय सीमा में दोबारा चलता है तो पुलिस उसे जब्त कर सकती है।
एडीसीपी ने बताया कि नाबालिग को वाहन देने के पर कार्रवाई के नियम काफी गंभीर हैं। अगर 18 वर्ष से कम उम्र का कोई लड़का वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसके पैरंट्स या वाहन के मालिक पर कार्रवाई तो होगी ही, लेकिन इस नियम को तोड़ने पर उसका लाइसेंस 25 साल का होने पर ही बनेगा।
गुरुकुल द स्कूल के डायरेक्टर सचिन वत्स कहते हैं कि अगर 18 साल से कम उम्र का कोई स्टूडेंट वाहन लेकर आता है तो पैरंट्स को बुलाकर वार्निंग दी जाएगी। दोबारा वाहन लाने पर पुलिस को सौंप दिया जाएगा। नए आदेश से संबंधित मेसेज अभिभावकों को भेजा जाएगा, ताकि कोई भी नाबालिग बच्चा कहीं भी वाहन ना चला पाए। ऐसे किसी भी स्टूडेंट्स को पार्किंग सुविधा भी नहीं मिलेगी।
जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल अंजू गौड़ का कहना है कि हम किसी भी बच्चे को स्कूल में स्कूटी आदि नहीं लाने देते। फिर भी स्कूल अभिभावकों को जागरूक करने का अभियान चलाएगा। उन्हें मेसेज भेजे जाएंगे और बताया जाएगा कि अब नाबालिग बच्चे के वाहन चलाने पर अभिभावकों को जेल तक जाना पड़ सकता है। अपने नाबालिग बच्चों को 2 पहिया या 4 पहिया वाहन चलाने के लिए ना दें।
चौधरी छबील दास पब्लिक स्कूल की प्रधानाध्यापक अनपुमा सिंह कहती हैं कि नाबालिग बच्चों के वाहन लाने के मामले में स्कूल पहले से ही सख्त है। ऐसे बच्चे को प्रवेश नहीं दिया जाता है। स्कूल ने अभिभावकों को जागरूक करने के लिए बोर्ड लगाने भी शुरू कर दिए हैं। अभिभावकों को इस संबंध में मेसेज भी भेजे जाएंगे।