यूपीपीसीएल द्वारा केबिल्स बदलने में अरबों खर्च के तुरंत बाद दर्जनों गांवों की विद्युत आपूर्ति एनपीसीएल को सौंपने के पीछे नजर आ रहा है बड़ा खेला 

यूपीपीसीएल द्वारा केबिल्स बदलने में अरबों खर्च के तुरंत बाद दर्जनों गांवों की विद्युत आपूर्ति एनपीसीएल को सौंपने के पीछे नजर आ रहा है बड़ा खेला 

औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांव एवं शहरी क्षेत्र के नाम पर विद्युत आपूर्ति शेड्यूल के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

      Greater Noida: जहां एक तरफ यूपीपीसीएल ने गांवों में विद्युत प्रवाह को प्रॉपर करने और बिजली चोरी रोकने के नाम पर पुरानी केबिल्स की जगह नई केबिल्स बदलने का काम हाल ही में किया है वहीं दूसरी तरफ जानकारी प्राप्त हुई है कि छोटी मिलक, इटैडा, शाहवेरी, हैवतपुर, रोजा याकूबपुर, मिलक लच्छी, पतवाडी, जलालपुर और सादुल्लापुर आदि गांवों की विद्युत सप्लाई की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल की जगह प्राइवेट कंपनी एनपीसीएल को सौंपी जा रही है। इसमें विशेष बात यह है कि यूपीपीसीएल द्वारा गांवों की विद्युत केबल्स बदलने पर अरबों खर्च करने के तुरंत बाद विद्युत आपूर्ति एनपीसीएल को सौंपने के पीछे कोई बड़ा खेला नजर आ रहा है। क्योंकि एनपीसीएल को विद्युत आपूर्ति के निर्णय की प्रक्रिया एक दिन का काम नहीं बल्कि यह प्रक्रिया काफी लंबे समय से चल रही होगी तो फिर केबल्स बदलने पर इतना भारी भरकम खर्च यूपीपीसीएल द्वारा करने के पीछे का असली सच क्या है ?

  यूपीपीसीएल से एनपीसीएल को विद्युत सप्लाई देने के निर्णय से अधिकतर ग्रामवासी इसलिए बहुत आहत हैं क्योंकि एनपीसीएल जहां गांवों को अमूमन 14 घंटे विद्युत सप्लाई करती है वहीं शहरी क्षेत्र में 24 घंटे विद्युत सप्लाई करके सौतेला भेदभाव करती है। जबकि सच्चाई यह है कि पंचायत राज व्यवस्था समाप्त होने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों को औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इसीलिए इन गांवों की विद्युत आपूर्ति शहरी क्षेत्र में स्थित विद्युत फीडर से होने के कारण विद्युत बिल शहरी दरों से वसूला जा रहा है। ऐसे में औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांवों के साथ गांव और शहर के नाम पर एनपीसीएल द्वारा भेदभाव किया जाना कतई उचित नहीं है। अगर एनपीसीएल ने औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांवों और शहरी क्षेत्र के बीच विद्युत आपूर्ति शेड्यूल का भेदभाव बंद नहीं किया तो यह मामला आगामी विधानसभा सत्र में गूंजेगा और इसके अलावा अगर न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने की जरूरत पड़ी तो उस स्तर तक भी लड़ाई लड़ी जाएगी। लेकिन औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांवों एवं शहरी क्षेत्र के नाम पर विद्युत आपूर्ति शेड्यूल में भेदभाव को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यूपीपीसीएल द्वारा गांव की केबल्स बदलने में करोड़ों खर्च करने के बाद आनन फानन में एनपीसीएल को विद्युत आपूर्ति सौंपने के पीछे के मामले की भी जांच होनी चाहिए।