बच्चों ने निगली बैटरी और पिन, छोटी चीजों को रखें दूर
Noida: सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में आए दिन पैरेंट्स अपने बच्चों द्वारा सिक्का, खिलौने की बैटरी, चाबी, गले का लॉकेट, आलपिन, सेफ्टीपिन, कांच का टुकड़ा आदि निगलने की शिकायत लेकर आते हैं। ऐसी चीजों को मुंह में निगलने वाले बच्चे आमतौर पर 1 से 15 साल तक की उम्र के होते हैं। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. विकास जैन ने बताया कि पिछले पांच सालों में ऐसे करीब 150 केस अस्पताल में आए हैं। इनमें से 125 बच्चों की एंडोस्कोपी करनी पड़ी।
बीती 2 जून को एक परिवार अपनी तीन साल की बच्ची को लेकर रात करीब 8 बजे हॉस्पिटल पहुंचा। पैरंट्स ने डॉ. विकास जैन को बताया कि बच्ची सिक्के से खेल रही थी। खेल-खेल में उसने दो रुपये का सिक्का मुंह में रखा और निगल लिया। इसका पता चलते ही वह बच्ची को लेकर चाइल्ड पीजीआई पहुंचे। हालांकि बच्ची की एंडोस्कोपी नहीं करनी पड़ी। महज 15 से 20 मिनट के अंदर डॉक्टरों ने सिक्के को बाहर निकाल दिया। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि अगर बच्ची को अस्पताल लाने में ज्यादा देर होती तो उसकी एंडोस्कोपी करनी पड़ जाती।
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि 4 साल के बच्चे ने 12 मई को खिलौने की बैटरी निगल ली थी। पैरंट्स बच्चे को लेकर रात करीब 7 बजे हॉस्पिटल आए थे। उन्होंने बताया कि बच्चा खिलौने से खेल रहा था, अचानक उसकी बैटरी निकल गई, जिसे बच्चे ने मुंह में डाल लिया। इससे बैटरी बच्चे के पेट में चली गई। सभी जांच के बाद बच्चे की एंडोस्कोपी की गई। 15 से 20 मिनट की मशक्कत के बाद उसके पेट से बैटरी निकाल दी गई। उन्होंने कहा कि अगर पैरंट्स बच्चे को एक-दो दिन बाद अस्पताल लेकर आते तो पेट या खाने की नली में जख्म हो सकते थे। जिसकी वजह से बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ सकती थी।
क से ज्यादा मैग्नेट निगलने पर वे पेट और आंत की दीवारों से चिपकने लगती हैं, जिसकी वजह से बच्चे को बेचैनी होने लगती है। बैटरी निगलने के केस में अगर 12 से 24 घंटे के अंदर बैटरी नहीं निकाली गई तो उससे निकलने वाला एसिड खाने की नली में या पेट में फैल जाता, जिससे बच्चे के पेट में अल्सर होने का खतरा पैदा हो जाता है। 3 से 5 सेंटीमीटर से बड़ी कोई भी नुकीली या पतली चीज निगलने पर तुरंत उपचार की जरूरत होती है।