सरकारी स्कूलों की तालाबंदी पर AAP का हमला, कहा– बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

उत्तर प्रदेश में 27,000 सरकारी स्कूल बंद करने के फैसले पर आम आदमी पार्टी का विरोध, बताया जनविरोधी और असंवेदनशील निर्णय
ग्रेटर नोएडा 1 जुलाई 2025 ! उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 27,000 सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के फैसले ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए इसे गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के बच्चों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ बताया है।
सरकारी नीतियों के विरुद्ध पार्टी का सख्त रुख
आम आदमी पार्टी किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कमांडो अशोक ने कहा कि यह फैसला संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के मूल अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “यह कदम न सिर्फ ‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम’ और ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसे ऐतिहासिक अभियानों की भावना के विपरीत है, बल्कि इससे स्कूली ड्रॉपआउट की दर और भी चिंताजनक स्तर तक पहुंच सकती है।”
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले साल ही उत्तर प्रदेश में करीब 8 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिए, ऐसे में स्कूल बंद करना एक क्रूर और अनुचित निर्णय है।
"पुनर्गठन" के नाम पर हो रहा है कमजोर वर्गों से अन्याय
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान प्रकोष्ठ प्रभारी रंजना तिवारी ने सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को “संवेदनात्मक पुनर्गठन” और “कम उपस्थिति” जैसे तर्कों के पीछे छिपी सच्चाई से भटकाना बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की बजाय उसे कमजोर किया जा रहा है।
“दिल्ली और पंजाब मॉडल से सीख ले राज्य सरकार”
पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिल्ली और पंजाब के शिक्षा मॉडल से सीख लेने की सलाह दी, जहाँ आम आदमी पार्टी ने सरकारी स्कूलों की स्थिति को अभूतपूर्व रूप से सुधारा है। पार्टी नेताओं ने मांग की कि सरकार स्कूलों को बंद करने की बजाय, शिक्षकों की भर्ती, संसाधनों की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करे।
सड़क से सदन तक होगा आंदोलन
प्रदेश उपाध्यक्ष मोहताज़ अजहर, जिला अध्यक्ष राकेश अवाना, संदीप भाटी और विपिन भाटी ने एकजुट होकर ऐलान किया कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो आम आदमी पार्टी पूरे प्रदेश में व्यापक जनआंदोलन खड़ा करेगी। यह आंदोलन सड़क से लेकर सदन तक लड़ा जाएगा और जनता की आवाज को बुलंद किया जाएगा।