किस कारण से 'गायब' हो रहे 1 और 2 BHK फ्लैट नोएडा और ग्रेटर नोएडा से

किस कारण से 'गायब' हो रहे 1 और 2 BHK फ्लैट नोएडा और ग्रेटर नोएडा से

Greater Noida: ग्रुप हाउसिंग में छोटे फ्लैट अब बीते दिनों की बात हो गए हैं। वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैट नोएडा से लेकर ग्रेनो तक रियल एस्टेट के मार्केट से बाहर हो गए हैं। इसका अनुमान दोनों अथॉरिटी के ग्रुप हाउसिंग डेटा से लगाया जा सकता है। नोएडा अथॉरिटी में पिछले 4 साल में ग्रुप हाउसिंग के कई नए प्रॉजेक्ट आए और पुराने में भी नक्शे पास हुए, लेकिन वन बीएचके का एक भी फ्लैट इनमें शामिल नहीं है। वहीं, 2 बीएचके के फ्लैट भी गिनती के ही नए प्रॉजेक्ट में हैं। कुछ यही स्थिति ग्रेनो अथॉरिटी एरिया के भी ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट की है। मार्केट के इस ट्रेंड के दो प्रमुख असर दिख रहे हैं। पहला कम और मध्यम आय वर्ग वाले तबके की नई बहुमंजिला इमारतों में आशियाना बनाने की उम्मीदें कमजोर हो रही हैं। दूसरा पहले से बने इन छोटे फ्लैट की रीसेल में बिक्री बढ़ रही है।

नोएडा अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले 4 साल में 12 ग्रुप हाउसिंग के नए प्रॉजेक्ट आए। इनमें सभी प्रॉजेक्ट में 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट हैं। इनमें भी प्लस स्टडी और प्लस सर्वेंट रूम वाले फ्लैट ज्यादा हैं। पहले से चल रही ग्रुप हाउसिंग के 36 प्रॉजेक्ट में भी 1 बीएचके का कोई नक्शा नहीं आया है। 2 बीएचके की अगर बात करें तो 6 हजार फ्लैट के पास हुए नक्शों की तुलना में इनकी संख्या 300 से भी कम है। वन बीएचके का फ्लैट 1 भी नहीं है। ग्रेनो अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग के अधिकारियों ने भी पिछले कई वर्षों से 1 बीएचके फ्लैट का नक्शा नए प्रॉजेक्ट में नहीं आने की जानकारी दी। एक समय था कि नोएडा में स्टूडियो अपार्टमेंट और वन बीएचके के कई प्रॉजेक्ट आ रहे थे।

पहले जो बिल्डर छोटे फ्लैट बना रहे थे उनमें कई के प्रॉजेक्ट दिवालिया प्रक्रिया में चले गए। अकेले नोएडा में 87 ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट में बिल्डर बकाएदार हैं। यह वो बिल्डर हैं जो रियल एस्टेट मार्केट को यहां पर लेकर आए थे। बकाएदारी की वजह से बिल्डर नए प्रॉजेक्ट ला नहीं पा रहे हैं।

नए बिल्डर ग्रुप आ रहे हैं वह बड़े ग्रुप हैं जिनकी पहचान ही लग्जरी हाउसिंग के लिए है। इसलिए वह बड़े फ्लैट ही बनाकर बेच रहे हैं।

छोटे फ्लैट की कीमत कम रहती है। यह बायर्स के लिहाज से तो सही हैं, लेकिन बिल्डर के लिहाज से कम मुनाफा और ओसी-सीसी से लेकर रजिस्ट्री तक वही प्रक्रिया करनी होती है जो ज्यादा कीमत और मुनाफे वाले बड़े फ्लैट की रहती है।

कोविड के बाद बड़े घर की जरूरत सामने आई है। खासकर आइसोलेशन और वर्क फ्रॉम होम की जरूरत के लिए।

औद्योगिक विकास प्राधिकरण में विकास प्राधिकारिणों की तरह कोई प्रतिबंध नहीं है कि बिल्डरों को एक निश्चित अनुपात में कम आय वर्ग के लिए फ्लैट बनाने ही होंगे।

कोविड के बाद बड़े घर की डिमांड मार्केट में आई है। वर्क फ्रॉम होम हो या बीमारी की स्थिति में एक कमरा लोग घर में ज्यादा चाहते हैं। दूसरी बात यह भी है कि छोटे फ्लैट में बड़े की तुलना में निर्माण लागत भी ज्यादा आती है। जैसे वन बीएचके में भी 1 किचन बिल्डर बनाएगा और 5 बीएचके में भी 1 किचन। मार्केट में जो डिमांड रहती है वही चीज ज्यादा आती हैं।