सरकारी अस्पताल में 3 घंटे तड़पता रहा घायल,नहीं मिला उपचार, निजी एंबुलेंस से ले जाना पड़ा प्राइवेट अस्पताल

सरकारी अस्पताल में 3 घंटे तड़पता रहा घायल,नहीं मिला उपचार, निजी एंबुलेंस से ले जाना पड़ा प्राइवेट अस्पताल

Gaziabad:गोविंदपुरम में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए दिल्ली निवासी किरण (42) को न जिला संयुक्त अस्पताल में उपचार मिला और न ही जिला एमएमजी अस्पताल में। संयुक्त में चिकित्सक ने देखते ही रेफर कर दिया। एमएमजी नें तीन घंटे तक वह इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर लेटे तड़पते रहे, लेकिन कोई चिकित्सक देखने तक नहीं आया। हालत बिगड़ती देख परिजन निजी अस्पताल ले गए।उन्हें सुबह साढ़े दस बजे संयुक्त अस्पताल लाया गया था। यहां कहने के लिए ट्राॅमा सेंटर है लेकिन गंभीर हालत में आए मरीजों को देखते ही रेफर कर दिया जाता है। किरण को भी चिकित्सक ने देखा और तुरंत तीमारदारों को पर्ची थमाकर कह दिया कि एमएमजी ले जाओ।

उनके भाई रवि ने बताया कि वह एमएमजी पहुंचे तो केस इमरजेंसी का बताया गया। पर्चा बनवाकर वे इमरजेंसी पहुंच गए। वहां चिकित्सक ने कह दिया कि पहले एक्सरे होगा, उसकी रिपोर्ट देखने के बाद उपचार किया जाएगा। वे एक्सरे विभाग में गए तो कहा गया कि नई पर्ची बनवाओ। इस पर नंबर मिलेगा। नंबर आने पर ही एक्सरे होगा। उन्होंने पर्ची बनवा ली, लेकिन तीन घंटे बीत जाने पर भी नंबर नहीं आया। इसके बाद और इंतजार करते तो भाई की हालत और बिगड़ जाती। मजबूरी में वे निजी अस्पताल ले गए। वह गोविंदपुरम में पुलिस चौकी के पास ड्यूटी पर पिलखुवा जाते समय कैंटर की टक्कर लग जाने से घायल हुए थे।
निजी एंबुलेंस से ले जाना पड़ा


रवि कुमार ने बताया कि जब एमएमजी में तीन घंटे उपचार नहीं मिला तो उन्होंने स्टाफ से कहा एंबुलेंस की व्यवस्था करने के लिए कहा ताकि भाई को निजी अस्पताल ले जाया जा सके। वहां सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिली। ऐसे में निजी एंबुलेंस से ही ले जाना पड़ा। निजी अस्पताल में तुरंत उपचार मिला। एक्सरे भी दस मिनट में हो गया। चिकित्सक ने बताया कि किरण के पैर की हड्डी टूटी है। इसी से उन्हें असहनीय पीड़ा हो रही थी।

गंभीर रूप से घायल मरीज तीन घंटे तक तड़पता रहा और उसे उपचार नहीं मिला। इस पर भी जिला एमएमजी और संयुक्त अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी किसी की गलती मानने के लिए तैयार नहीं हैं। मरीज को उपचार न मिल पाने की दोनों ने अलग-अलग वजह बताई हैं। 
सड़क हादसे का केस था। मेडिको लीगल कार्रवाई के लिए अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं, इसलिए मरीज को एमएमजी अस्पताल रेफर करना पड़ा- डॉ. विनोद कुमार पांडे, सीएमएस, संयुक्त अस्पताल

पुलिस केस में कार्रवाई में समय लगता है। परिजन इंतजार नहीं करना चाह रहे थे इसलिए वह अपनी मर्जी से निजी अस्पताल में मरीज को लेकर गए- डॉ. मनोज चतुर्वेदी, सीएमएस, एमएमजी अस्पताल