अब लिफ्ट का कराना होगा रजिस्ट्रेशन
Noida: बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट या एस्केलेटर खराबी का डर अब दूर होगा। साथ ही, सोसायटियों में इनके मेंटिनेंस की समस्या भी नहीं खड़ी होगी। यूपी कैबिनेट के बाद विधानसभा में भी शुक्रवार को लिफ्ट ऐक्ट के ड्राफ्ट को मंजूरी मिल गई है। अब आगे शासन स्तर से शासनादेश जारी कर इसे लागू करने की व्यवस्था की जाएगी। इसमें अलग-अलग शहर में निगरानी व प्रभावी करने की जिम्मेदारी तय होगी। नोएडा से लेकर ग्रेनो की बहुमंजिला आवासीय इमारतों में रहने वाली बड़ी आबादी ऐसी किसी व्यवस्था की मांग लंबे समय से कर रही थी। एक्ट की जरूरत भी थी।
लिफ्ट एक्ट का विधानसभा में पास हुए प्रस्ताव का ड्राफ्ट सामने आ गया है। आगे और तस्वीर शासनादेश जारी होने के साथ साफ हो जाएगी। अगर लिफ्ट एक्ट के ड्राफ्ट में शामिल बिंदुओं की बात करें तो लिफ्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। यह रजिस्ट्रेशन जो अपने नाम से करवाएगा उसकी जिम्मेदारी लिफ्ट का एनुअल मेंटनेंस कांट्रैक्ट (AMC) कराने की होगी। मेंटिनेंस करने के लिए जिस एजेंसी का चयन होगा उस एजेंसी का भी रजिस्ट्रेशन होगा। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑटोमेटिक डिवाइस लगवानी होगी। जोखिम बीमा और जांच की गाइडलाइंस भी ऐक्ट में तय कर दी गई हैं।
लिफ्ट या एस्केलेटर लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। निजी परिसर और सार्वजनिक परिसर के लिए रजिस्ट्रेशन अलग-अलग होगा। लिफ्ट की एक लॉग बुक भी बनेगी। इस बुक में लिफ्ट में अगर कोई पूर्व में हादसा या खराबी आई है तो उसका भी रेकॉर्ड दर्ज करना होगा।
-बिजली चले जाने या अन्य समस्या होने पर प्रत्येक लिफ्ट में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑटोमेटिक सेफ्टी डिवाइस लगानी होगी। सभी सार्वजनिक लिफ्ट में सीसीटीवी भी जरूरी होगा।
सार्वजनिक परिसर की लिफ्ट में जोखिम बीमा भी करवाना होगा। यह बीमा यात्रियों के लिए होगा। सरकारी परिसर की लिफ्ट में बीमा अनिवार्य नहीं होगा।
-एएमसी करने के लिए जो भी एजेंसियां होंगी उनको अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन में एजेंसियों की तकनीकी दक्षता का परीक्षण सरकारी विभाग करेंगे।