घोटालेबाज मोहिंदर सिंह का पहला सूत्रधार था निर्मल सिंह, ED की रडार पर

घोटालेबाज मोहिंदर सिंह का पहला सूत्रधार था निर्मल सिंह, ED की रडार पर

Noida: नोएडा प्राधिकरण का पूर्व CEO सरदार मोहिंदर सिंह प्रवर्तन निदेशालय की रडार पर है। ED ने नेाएडा के पूर्व CEO मोहिंदर सिंह को अपने मुख्यालय में तलब किया है। नोएडा में तैनाती के दौरान मोहिंदर सिंह का सबसे पहला सूत्रधार एक दूसरा सरदार बना था। वह दूसरा सरदार नोएडा के रियल एस्टेट उद्योग में सक्रिय है। थ्री सी के नाम से कंपनी चलाने वाले दूसरे सरदार का नाम निर्मल सिंह है।

नोएडा शहर में थ्री सी के नाम से कंपनी चलाने वाले निर्मल सिंह तथा नोएडा प्राधिकरण के पूर्व CEO मोहिंदर सिंह के गठजोड़ का मामला सामने आया है। जानकार सूत्रों का दावा है कि सरदार निर्मल सिंह ही मोहिंदर सिंह के हजारों करोड़ रूपए के घोटाले का पहला पार्टनर था। हाल ही में ED ने हैसिंडा कंपनी के जिस प्रोजेक्ट की जांच को आगे बढ़ाया है उस कंपनी का असली मालिक भी सरदार निर्मल सिंह ही है। दरअसल निर्मल सिंह ने सुरजीत सूरी तथा विदुर भारद्वाज के साथ मिलकर थ्री सी, हैसिंडा तथा दूसरी अनेक कंपनियां बनाकर रियल स्टेट के नाम पर खूब माल कमाया है। निर्मल सिंह ने नोएडा के सेक्टर-100 में लोटस वुडस, नोएडा के सेक्टर-110 में लोटस पनास, सेक्टर-110 में ही लोटस जिंग, नोएडा के सेक्टर-78 में अरीना के नाम से प्रोजेक्ट घोषित करके खूब पैसे कमाए हैं। नोएडा के सेक्टर-126 में स्थित लोटस वैली नाम का स्कूल भी निर्मल सिंह तथा उसके रिश्तेदारों द्वारा चलाया जाता है। नोएडा के सेक्टर-78 का अरीना प्रोजेक्टस आज तक अधर में लटका हुआ है। इसी निर्मल सिंह ने सबसे पहले नोएडा के तत्कालीन CEO मोहिंदर सिंह को नोएडा में मोटी कमाई करने का रास्ता बताया था। बाद में निर्मल सिंह ने दर्जनों बिल्डरों के साथ मोहिंदर सिंह की “सैटिंग” कराई थी। मोहिंदर सिंह ने नोएडा में मनमाने ढंग से जमीन के आवंटन करके कम से कम 95 हजार करोड़ रूपए कमाए हैं।

सरदार मोहिंदर सिंह ने किस कदर घोटाले किए हैं इसकी एक बानगी (उदाहरण) हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं। आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण से सैकड़ों करोड़ रूपए की भूमि आवंटित कराने वाले एक दर्जन बिल्डर कंगाल हो गए हैं। नोएडा में सक्रिय इन बिल्डरों ने अपनी-अपनी नोएडा की कंपनियों को दिवालिया घोषित कर दिया है। दिवालिया होने वाले बिल्डरों के ऊपर नोएडा प्राधिकरण के नौ हजार करोड़ से भी अधिक रूपए बकाया है। दिवालिया हो जाने के कारण इन बिल्डरों से अब रिकवरी की उम्मीद ना के बराकर रह गयी है। रिकवरी ना होने का अर्थ है कि नोएडा प्राधिकरण का पूरा बकाया डूब गया है।

नोएडा प्राधिकरण के इस बकाये की रकम ९ हजार करोड़ रूपए से भी अधिक की है। नोएडा प्राधिकरण का सबसे बड़ा बकाया आम्रपाली बिल्डर पर है। दिवालिया हो चुके आम्रपाली बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के ४५०० करोड़ रूपए बकाया है। इस कड़ी में दूसरा नाम सुपरटेक बिल्डर का है। सुपरटेक बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के ३०६२ करोड़ रूपए बकाया है। इसी प्रकार लॉजिक्स बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के १ हजार ११३ करोड़ रूपए बकाया है। इसी कड़ी में थ्रीसी बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के ६०० करोड़ रूपए बकाया है। यहां बताए गए सभी बिल्डर दिवालिया घोषित हो चुके हैं। इस कारण नोएडा प्राधिकरण के ९ हजार करोड़ रूपए डूब गए हैं। नोएडा प्राधिकरण की भारी-भरकम धनराशि डूबने का यह पूरा घोटाला सरदार मोहिंदर सिंह के कारण हुआ है। दरअसल सरदार मोहिंदर सिंह उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड ढ्ढ्रस् अधिकारी हैं। इस ढ्ढ्रस् अधिकारी मोहिंदर सिंह को सबसे बड़ा भ्रष्ट अधिकारी माना जाता है। सरदार मोहिंदर सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की सरकार में सबसे फेवरेट अधिकारी था। सरदार मोहिंदर सिंह १४ दिसंबर २०१० से लेकर २० मार्च २०१२ तक नोएडा प्राधिकरण में श्वष्टह्र तथा चेयरमैन के पद पर तैनात रहा है। उसी तैनाती के दौरान मोहिंदर सिंह ने बिल्डरों को कौडिय़ों के भाव नोएडा प्राधिकरण की सारी जमीन बेच डाली थी।

सरदार मोहिंदर सिंह नोएडा प्राधिकरण में १४ दिसंबर २०१० को तैनात हुआ था। नोएडा में आते ही मोहिंदर सिंह ने निर्मल सिंह के जरिए राजनैतिक आका तैयार कर लिए थे। अपने राजनैतिक आकाओं को अरबों रूपयों की कमाई करवाने के मकसद से सरदार मोहिंदर सिंह ने एक च्च्खेलज्ज् शुरू किया था। खेल यह था कि नोएडा प्राधिकरण की हजारों करोड़ मूल्य रूपये की जमीन मात्र १० प्रतिशत धनराशि जमा कराकर कोई भी बिल्डर आवंटित करा सकता था। शर्त यह थी कि जमीन की कीमत का २५ प्रतिशत (सैकड़ों करोड़) मोहिंदर सिंह तथा उसके राजनीतिक आकाओं को नगद भेंट करना होता था।

इसी “खेल” के दौरान नोएडा प्राधिकरण के डिफाल्टर बिल्डर आम्रपाली, सुपरटेक, लॉजिक्स तथा थ्री-सी जैसे बिल्डरों को नोएडा प्राधिकरण की १० हजार करोड रूपए से भी अधिक की जमीन आवंटित की गई थी। बिल्डरों ने इस आवंटन के बदले हजारों करोड़ रूपए की रिश्वत मोहिंदर सिंह तथा उसके आकाओं को दी थी। मोटी रिश्वत देने के कारण बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण का बकाया चुकाने का प्रयास कभी किया ही नहीं। इस प्रकार नोएडा प्राधिकरण में हजारों करोड़ रूपए का “खेला” हो गया।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना क्षेत्र की बेशकीमती सरकारी जमीन धन्धेबाजों को मात्र १० प्रतिशत राशि लेकर आवंटित करने के घोटाले का मुख्य सूत्रधार थ्री सी कंपनी का मालिक निर्मल सिंह तथा नोएडा प्राधिकरण का तत्कालीन अध्यक्ष एवं सीईओ मोहिन्दर सिंह था। सूत्रों का दावा है कि अपने आकाओं का चहेता बना रहने के लिए निर्मल सिंह के कहने पर मोहिन्दर सिंह ने ही यह योजना बनायी थी कि बिल्डर प्राधिकरण को मात्र १० प्रतिशत राशि देकर अपना प्रोजेक्ट बना लें और बाकी धन किश्तों में अदा करते रहे। इसी योजना के कारण आज लाखों बायर्स, ठेकेदार, श्रमिक सडक़ों पर हैं और प्राधिकरणों के २८ हजार करोड़ रूपये डूब गए हैं।