नोएडा में 1.5 गुना तक बढ़ गए हेपेटाइटिस बी और सी के मामले

नोएडा में 1.5 गुना तक बढ़ गए हेपेटाइटिस बी और सी के मामले

Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगातार हेपेटाइटिस के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। शहर में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मामले में पिछले साल से 1.5 गुना की बढ़ोतरी हुई है। फैटी लिवर और अल्कोहलिक लीवर डिजीज इसके मुख्य कारणों में हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं और जागरूकता कार्यक्रम से हेपेटाइटिस की जांच में तेजी आई है। हालांकि जिला अस्पताल और चाइल्ड पीजीआई में इसकी निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है। वहीं, निजी अस्पतालों में वायरल लोड की जांच कराने में 4 हजार रुपये से अधिक लगते हैं। इस रोग का सबसे बड़ा कारण बदलती लाइफस्टाइल और जंक फूड माना जा रहा है। हर वर्ग को इससे परहेज करने की सलाह दी जाती है।

भारत सरकार की नेशनल प्रोग्राम फॉर सर्विलांस ऑफ वायरल हेपेटाइटिस (एनपीएसवीएच) की फैक्ट शीट 2021 के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हेपेटाइटिस के मामले ज्यादा मिल रहे हैं। सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल में इसकी जांच निशुल्क होती है। जिससे जांच में तेजी आई है और इसकी सर्विलांस की वजह से नए मामले भी सामने आ रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर डॉ. ऋषभ कुमार सिंह ने बताया कि यहां हेपेटाइटिस के मरीज शुक्रवार और मंगलवार को ओपीडी में जांच कराते हैं।

लगभग 200 मरीज हर महीने इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसमें से स्क्रीनिंग में पॉजिटिव पाए गए मरीजों का सैंपल वायरल लोड टेस्ट के लिए चाइल्ड पीजीआई भेजा जाता है। इस दौरान जांच और दवाओं के खर्च हजारों में होते हैं। जो सरकार की तरफ से निशुल्क होते हैं। हेपेटाइटिस की दवाएं महंगी आती हैं। हेपेटाइटिस सही होने के कुछ समय बाद वायरल लोड टेस्ट कराते रहने की सलाह दी जाती है।

चाइल्ड पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुमी नंदवानी ने बताया कि चाइल्ड पीजीआई के डायरेक्टर डॉ. एके सिंह के सहयोग हेपेटाइटिस की जांच सुविधा बेहतर हुई है। एक महीने में वायरल लोड जांच के लिए 300 से अधिक मामले आ रहे हैं। हेपेटाइटिस बी और सी में क्रॉनिक केस होने की संभावना भी बनी रहती है। इससे कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाते हैं। पहले इसकी जांच के लिए सैंपल मेरठ जाता था। जिसमें काफी समय बर्बाद होता था, जबकि अब चाइल्ड पीजीआई में जांच होने से इसकी रिपोर्ट 2 दिनों में मिल जाती है।

सेक्टर 11 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल के हेपेटोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. हर्ष कपूर ने बताया कि आजकल मरीजों में हेपेटाइटिस बी और सी के ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं। हेपेटाइटिस का आज के समय में मुख्य कारण फैटी लीवर भी है, क्योंकि लोगों में बदलती लाइफस्टाइल और जंक फूड के अधिक सेवन से परेशानी होती है। एक महीने में हेपेटाइटिस बी के 30 से अधिक और हेपेटाइटिस सी के 15 से अधिक मरीज अस्पताल में इलाज को पहुंचते हैं। अगर वायरस 6 महीने तक शरीर में रहे तो हेपेटाइटिस बी और सी में क्रोनिक हेपेटाइटिस हो सकता है।