नोएडा में एनटीपीसी के बाहर चल रहे प्रदर्शन मे धरने पर बैठीं 33 महिलाओं की ठंड लगने से बिगड़ी तबीयत
NOIDA : सेक्टर 24 स्थित एनटीपीसी के बाहर विभिन्न मांगों लेकर धरना में शामिल 33 महिलाओं की मंगलवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई। मामले की सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई। सीएमओ डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने तुरंत 108 एंबुलेंस को सूचित किया।
मौके पर पहुंची एंबुलेंस के जरिये महिलाओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई महिलाओं को किसान नेता अपनी कारों से अस्पताल लेकर पहुंंचे। अस्पताल पहुंचने के बाद महिलाओं को भर्ती के लिए कड़ी मशक्कत करने पड़ी। किसान नेता सुखबीर खलीफा ने समय पर बेड और डाक्टर नहीं मिलने के साथ अव्यवस्था का आरोप लगाया। एक बेड पर कई-कई मरीजों को भर्ती किया गया।
सीएमएस डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि सूचना के तुरंत बाद स्टाफ के साथ डाक्टरों को सक्रिय किया। महिलाओं को भर्ती के साथ जरूरी इंतजाम किए हैं। जिन्हें आक्सीजन की जरूरत के साथ दवा की जरूरत है उन्हें जरूरी दवा जांच के बाद दी गई।
डॉक्टरों का कहना है कि खुले आसमान में कम रजाई-कंबल के साथ सोने से महिलाओं को ठंड लग गई, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई है। अभी महिलाओं की हालत स्थिर है। डाक्टरों की ओर से मधुमेह, बीपी, कोलेस्ट्राल, पल्स रेट आदि की जांच की है।
दादरी एनटीपीसी से प्रभावित 24 गावों के किसानों ने सोमवार को सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी भवन को घेराव शुरू किया था। कई किसान टेंट लगाने के बाद एनटीपीसी के बाहर भी अड़े रही। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं, बुजुर्ग भी शामिल रहें।
किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा का कहना है कि किसानों का काम करो अन्यथा धरना दिन-रात चलता रहेगा। जब तक मांगों को पूरा नहीं करते हम यहां से नहीं जाएंगे। पहले भी कई बार प्रदर्शन किया जा चुका है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
एनटीपीसी दादरी परियोजना के लिए वर्ष 1986,1 987, 1989, 1991 और 1994 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किसानों को मुआवजा राशि एक समान न होकर एनटीपीसी अधिकारियों ने अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग तय की जिसमें कुछ किसानों को 8 रुपये, 20 रुपये, 45 रुपये, प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया था, कुछ लोगों को नौकरी दी गई थी।
कुछ किसानों को रेलवे लाइन के अधिग्रहण बताकर 50 रुपये और 110 रुपये प्रतिवर्ग मीटर का मुआवजा व कुछ को नौकरी दी गई थी। जबकि यह अधिग्रहण भी दादरी परियोजना में हुआ था। इस दौरान स्थानीय नेताओं एनटीपीसी व किसानों के बीच एक समझौता करा कर किसानों को 110 रुपये प्रतिगत व 250 रुपये प्रतिवर्ग मीटर व कुछ को नौकरी दिलवाई ती।
आरोप है कि जब एक परियोजना के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है तो रेट भी समान होने चाहिए। इसके अलावा 2291 परिवारों ने एनटीपीसी की स्थापना के लिए अपनी जमीन दी है।
जिनमें केवल 182 प्रभावित व्यक्तियों को एनटीपीसी में नौकरी दी गई और 25 प्रतिशत को दुकानें। एनटीपीसी के प्रभावित सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाए। एनटीपीसी दादरी के पांच किमी के दायरे में रहने वाले भूविस्थापित को फ्री में बिजली दी जाए।
एनटीपीसी का कहना है कि राष्ट्रहित में बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए दादरी क्षेत्र में एनटीपीसी निर्माण के लिए वर्ष 1986 से 1995 के बीच जिला प्रशासन ने किया था।
इस समय समान मुआवजा और नौकरी देने पर विचार किया जाना संभव नहीं है। वर्तमान में 70 प्रतिशत श्रमिक भूविस्थापित व समीपवर्ती गांव के है। वर्तमान में खगोड़ा व सीधीपुर गांव के सहयोग से खेल का मैदान विकसित किया जा रहा है।