बेटे की झूठी मौत बता पिता ने हड़पे थे बीमा के 90 लाख,ऐसे खुला फर्ज़ी मौत का राज
NOIDA: पुलिस की गिरफ्त में आए दनकौर के पारसौल गांव निवासी अनिल मलिक के मरने के नाटक का घरवालों ने ही खुलासा किया है। करीब एक साल से अनिल के पिता विजयपाल और अन्य भाइयों में जमीन का विवाद चल रहा है। इससे नाराज होकर ही अनिल के चाचा धर्मपाल ने गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर से छह महीने पहले उसके जीवित होने की शिकायत की थी, लेकिन तब पुलिस ने मामले को टरका दिया था।
नोएडा पुलिस ने जब मामले में कार्रवाई नहीं की तो धर्मपाल ने अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को अनिल के जीवित होने की बात बताई। वहां की पुलिस ने जांच की तो पता चला कि अनिल के मास्टरमाइंड पिता विजयपाल ने लाखों रुपये की चाहत में 20 साल के बेटे अनिल की मौत का स्वांग रचा था। पुलिस अब पिता व भाई की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी हुई है।
31 जुलाई 2006 को अनिल मलिक व उसके पिता व भाई ने मिलकर एक दिव्यांग को गाड़ी में बैठाया और अहमदाबाद में ले गए और जलाकर मार दिया था। पारसौल गांव में भी कार में जलने से अनिल की मौत होने की सूचना दी गई थी।
पोस्टमॉर्टम के बाद पिता उस दिव्यांग भिखारी के शव को गांव लेकर नहीं गए बल्कि गाजियाबाद के श्मशान स्थल में ही अंतिम संस्कार कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं गांव के लोग कहीं शव की पहचान न कर लें।