नोएडा स्पोर्टस सिटी के नाम पर 9000 करोड़ का घोटाला

Noida: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में CBI और ED जांच के आदेश दिए हैं. अदालत ने आरोप लगाया कि बिल्डरों, कंसोर्टियम और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने घर खरीदारों का पैसा हड़प लिया और घोटाले में शामिल सभी पक्षों के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया. अदालत ने इसे भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण करार दिया और कहा कि इस मामले में गंभीर जांच की आवश्यकता है.
4 स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में से 3 को लेकर सुनाया फैसला
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 4 स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में से 3 को लेकर अलग-अलग फैसले सुनाए. इन फैसलों में प्रमुख डेवलपर्स और कंसोर्टियम के सदस्यों की जिम्मेदारी तय की गई. अदालत ने लैंड यूज वायलेशन, वित्तीय अनियमितताओं, दिवालिया कार्यवाही, और खेल सुविधाओं के निर्माण में कमी के मुद्दों की जांच करने का आदेश दिया. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में CBI और ईडी से जांच कराना आवश्यक है.
परियोजना में अनियमितताएं
कोर्ट ने पाया कि नोएडा प्राधिकरण से महत्वपूर्ण लाभ और रियायतें प्राप्त करने के बावजूद डेवलपर्स ने परियोजना में अनिवार्य खेल सुविधाओं के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया. इसके बजाय, उन्होंने व्यवसायिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया. यह आदेश मुख्य रूप से सेक्टर 78, 79, और 101 में स्थित परियोजनाओं से संबंधित हैं, जहां ज़ानाडु एस्टेट प्रमुख डेवलपर है. वहीं, सेक्टर 150 में 2 अन्य परियोजनाओं का निर्माण लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन द्वारा किया गया था. कोर्ट ने यह भी देखा कि कुछ परियोजनाओं के डेवलपर्स, जैसे कि लॉजिक्स, दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. अदालत ने इसे एक जानबूझकर रणनीति बताया, ताकि डेवलपर्स अपनी वित्तीय और कानूनी जिम्मेदारियों से बच सकें.
राज्य सरकार और नोएडा प्राधिकरण की जिम्मेदारी
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी की जांच शुरू करे. इसके साथ ही, नोएडा प्राधिकरण को भी बकाया राशि वसूलने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. कोर्ट ने कहा कि डेवलपर्स ने परियोजना को निर्धारित योजना के अनुसार नहीं बनाया और दिवालियापन का रास्ता अपनाया ताकि वे अपनी देनदारियों से बच सकें. इस घोटाले के संबंध में सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में भी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था, जिससे नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया कि डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई और कई नियमों का उल्लंघन किया गया. इसके बावजूद, खेल सुविधाओं का निर्माण अधूरा था, लेकिन फिर भी अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए थे.
CAG की रिपोर्ट में नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को करीब 9000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई और नोएडा प्राधिकरण के नियमों को अनदेखा करते हुए स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया. लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज भी नहीं दिए गए, साथ ही खेल सुविधाओं का निर्माण अधूरा होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए.
CAG रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई।कोर्ट ने कहा कि CAG की रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की. न तो FIR दर्ज की गई और न ही बिल्डरों से बकाया वसूलने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए. केवल डेवलपर्स को भुगतान की मांग के लिए नोटिस भेजे गए थे, जिसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार के अधिकारियों को उनकी निष्क्रियता और मिलीभगत के लिए कड़ी फटकार लगाई, यह कहते हुए कि कई अधिकारियों के बदलने के बावजूद कोई भी अधिकारी घाटे की भरपाई के लिए आगे नहीं आया.
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना का इतिहास
नोएडा प्राधिकरण ने 16 अगस्त 2004 को स्पोर्ट्स सिटी परियोजना का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में विश्वस्तरीय खेल सुविधाएं स्थापित करना था. परियोजना के लिए 311.60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 346 हेक्टेयर कर दिया गया. यह निर्णय 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के प्रभाव के तहत लिया गया था. इस परियोजना का प्रारूप तैयार करने के लिए ग्रांट थॉर्नटन को नियुक्त किया गया था और 2008 में इसे नोएडा मास्टर प्लान 2031 में शामिल किया गया था.
परियोजना के तहत बनने वाली सुविधाएं
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में 11 प्रमुख स्पोर्ट्स एक्टिविटी का निर्माण प्रस्तावित था
1- गोल्फ कोर्स (9 होल) - 40 करोड़ रुपये
2- मल्टीपर्पज प्ले फील्ड - 10 करोड़ रुपये
3- टेनिस सेंटर - 35 करोड़ रुपये
4- स्विमिंग सेंटर - 50 करोड़ रुपये
5- प्रो-शॉप्स/फूड बेवरेज - 30 करोड़ रुपये
6- आईटी सेंटर / प्रशासनिक / मीडिया सेंटर - 65 करोड़ रुपये
7- इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर - 30 करोड़ रुपये
8- क्रिकेट अकादमी, पार्क, और इंटरनल रोड - 25 करोड़ रुपये
9- हॉस्पिटल और सीनियर लिविंग / मेडिकल सेंटर - 60 करोड़ रुपये
10- डेवलपर्स पर बकाया राशि
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मार्च 2024 तक, अलग-अलग डेवलपर्स पर नोएडा प्राधिकरण का बड़ा बकाया था
जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोर्टियम) - सेक्टर 78, 79 और 101 में करीब 1356.88 करोड़ रुपये का बकाया
लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड - सेक्टर 150 (एससी-01) में करीब 2964.23 करोड़ रुपये का बकाया
लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (कंसोर्टियम) - सेक्टर 150 (एससी-02) में करीब 2969.87 करोड़ रुपये का बकाया
यह घोटाला और इसके साथ जुड़ी वित्तीय अनियमितताएं नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं, और आगे की कार्रवाई की आवश्यकता है.