25 बड़े बिल्डर अथॉरिटी को देंगे 1550 करोड़ रुपये बकाया, रजिस्ट्री का खुला रास्ता
Noida: नोएडा के हजारों फ्लैट खरीदारों के लिए राहत भरी खबर है। केंद्र की अमिताभकांत कमेटी की सिफारिशों पर यूपी कैबिनेट के फैसले से राहत लेने को बिल्डर आगे आ रहे हैं। जिसके बाद अगले महीने से शहर में फ्लैटों की रजिस्ट्री का सिलसिला शुरू हो सकता है। इसके संकेत नोएडा अथॉरिटी में हुए बिल्डरों और अधिकारियों के बीच बैठक में मिले हैं। इस बैठक में 30 परियोजनाओं से जुड़े बिल्डरों को बुलाया गया था, लेकिन 25 ही पहुंचे। 25 बकाएदार बिल्डरों ने बकाया जमा करने की मौखिक सहमति दी। इन 25 बिल्डरों पर करीब 1550 करोड़ रुपये अथॉरिटी का बकाया है। इस बैठक में पहुंचने वाले बिल्डरों में प्रमुख रूप से एटीएस, सनसाइन, जेएम, पारस टिएरा, प्रतीक समेत अन्य बिल्डरों के प्रतिनिधि थे।
अगली बैठक में यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि कितने बिल्डर लिखित सहमति दे रहे हैं। शासनादेश की शर्तों के तहत बिल्डर को कुल बकाए में से अभी 25 प्रतिशत राशि देनी होगी। बाकी पैसा एक से तीन साल के अंदर देना होगा। बकाया मिलने के बाद करीब 2 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो जाएगा। बैठक में नोएडा प्राधिकरण की तरफ से बिल्डरों को 42 बिंदुओं पर तैयार की गई रिपोर्ट सौंपी। इसमें संबंधित परियोजना का आवंटन समय से लेकर स्वीकृत टावर और फ्लैट, कितने फ्लैट बन चुके, कितने फ्लैट की ओसी जारी हुई, कितने फ्लैट की रजिस्ट्री हुई और कितना बकाया है समेत अन्य जानकारी थी। इन बिल्डरों को 23 फरवरी से सहमति देने के लिए सीईओ के समक्ष आना होगा।
नोएडा समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को किया गया था। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का जिम्मा दिया गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को भेजा था। अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने समिति की करीब आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में आने वाले दर्जनों बिल्डर्स के तमाम प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हैं। किसी के पास फंड की कमी है तो किसी का प्राधिकरण पर बकाया है। इसके अलावा कई बिल्डर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। कुछ प्रोजेक्ट कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं।