दिल्ली विश्वविद्यालय में मचा बवाल, महिला प्रोफेसरों से प्रेग्नेंसी को लेकर पूछ रहे सवाल
दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसरों का निजी डेटा जुटाने को लेकर बहस हुई है। डीयू के शिक्षकों ने सहायक प्रोफेसरों का निजी डेटा प्राप्त करने पर असंतोष व्यक्त किया है। माना जाता है कि असिस्टेंट प्रोफेसरों का यह डेटा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान प्रोफेसरों को चुनावी ड्यूटी पर लगाने के उद्देश्य से जुटाया जा रहा है। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने इससे विरोध जताते हुए चेताया है कि चुनावी ड्यूटी में शिक्षकों को लगाने पर यह छात्रों के हित में नहीं होगा।
Delhi University (DU) के वाइस चांसलर योगेश सिंह को 11 सदस्यों की दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जिक्यूटिव काउंसिल और DUTA एग्जिक्यूटिव ने इस संबंध में पत्र लिखा है। इन सभी ने वाइस चांसलर को लिखे पत्र में कहा कि जिस तरह से निजी जानकारी मांगी जा रही है, उससे संदेह है कि वे चुनावी ड्यूटी में लगाए जाएंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वाइस चांसलर को लिखे पत्र में कहा गया है, "असिस्टेंट प्रोफेसरों से उनका वोटर-आईडी नंबर, विधानसभा क्षेत्र और यहां तक कि महिला शिक्षकों से उनकी प्रेग्नेंसी के बारे में सवाल किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों से इससे पहले कभी भी इस तरह की जानकारी नहीं मांगी गई है कि पति और पत्नी का विधानसभा क्षेत्र क्या है। यह जानकारी सिर्फ सहायक प्रोफेसरों से क्यों मांगी जा रही है?"
11 अक्टूबर को भेजे गए पत्र में शिक्षकों ने नोबल अधिकारी को डेटा जुटाने का भी जिक्र किया। क्या किसी अन्य संस्था से नोडल अफसर संपर्क करेंगे? खत में कहा गया है कि यह यूजीसी के नियमों का उल्लंघन है। दिल्ली यूनिवर्सिटी भी मानती है कि विश्वविद्लाय एक स्वतंत्र संस्था है और राज्य सरकार के अधीन नहीं है, इसलिए शिक्षक कभी चुनाव में शामिल नहीं होंगे।शिक्षकों ने वाइस चांसलर से कहा है कि वे इस तरह का डेटा क्यों जुटा रहे हैं?