दिल्ली में 20 लाख की नकली टैबलेट्स-कैप्सूल जब्त

दिल्ली में 20 लाख की नकली टैबलेट्स-कैप्सूल जब्त

दिल्ली :   क्या शुगर, बीपी, बुखार और अन्य जीवनरक्षक दवाएं असली हैं? ठीक है, चौकिंए मत पुलिस ने कई नकली दवाएं पकड़ी हैं। यह चिंता की बात है कि इन निकली दवाओं को दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भेजा गया है। पुलिस ने 20 लाख रुपये की नकली दवाएं पकड़ी हैं। 

दिल्ली में तीन कंपनियों पर छापेमारी करके लगभग 20 लाख रुपये की नकली दवाएं बरामद की गईं। यहां से लगभग डेढ़ लाख नकली कैप्सूल और टैबलेट मिले हैं। हरिद्वार, उत्तराखंड, एक नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री से इन कंपनियों को माल भेजा गया था।

14 अक्तूबर को हरिद्वार में एसओजी और थाना रायपुर की एक संयुक्त टीम ने नकली दवा की फैक्ट्री का खुलासा किया, एसएसपी अजय सिंह ने बताया। देहरादून में सहस्रधारा रोड पर इसकी फर्म खोली गई थी। बाद में पुलिस ने छापेमारी में भारी मात्रा में नकली दवाएं पाईं।

मुख्य आरोपी सचिन शर्मा सहित दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस जांच में शर्मा के बैंक खातों से लाखों रुपये के ट्रांजेक्शन का पता चला, उन्होंने कहा। दो वर्षों में देश के 44 स्थानों में लगभग सात करोड़ की नकली दवाएं भेजी गईं।

एसएसपी ने कहा कि श्रीबालाजी मेडिकोज के मालिक नितिन अरोड़ा और आरजी फार्मा के मालिक रवि बर्नवाल से बहुत सारे दस्तावेज लिए गए। श्रीबालाजी मेडिकोज और आरजी फार्मा को एसएस मेडिकोज ने लगभग 97 लाख रुपये की नकली दवाइयां दीं।

सूत्रों के अनुसार, इन कंपनियों ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, सहारनपुर, मुरादाबद, बरेली, शामली और गाजियाबाद जैसे कई शहरों में माल भेजा है। यही नहीं, बिहार में नकली दवा भी दी जाती थी। एसएस मेडिकोज को भारत मेडिकोज के मालिक भरत अरोड़ा ने लगभग 60 लाख रुपये की नकली दवाएं दीं। 40 लाख की दवाएं लखनऊ, दिल्ली, बनारस, सिलिगुड़ी और बिहार में भारत मेडिकोज ने भेजीं।

समय-समय पर उत्तराखंड में दवा बनाने वाली कंपनियों का ऑडिट किया जाएगा, ताकि गुणवत्ता का पालन सुनिश्चित किया जा सके। औषधि विभाग ने शनिवार को दून में दवा गुणवत्ता पर एक कार्यशाला की।

डॉ.एके प्रधान, देश के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक, ने बताया कि उत्तराखंड देश के औषधि उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत बनाता है। ऐसे में राज्य में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता का पालन करना आवश्यक है। उनका कहना था कि देश में दवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए शेड्यूल "एम" का पालन अनिवार्य है।

इसके तहत दवा आपूर्तिकर्ताओं का ऑडिट, उपकरणों का सत्यापन, जैविक उत्पादों के निर्माण की जांच और अन्य गुणवत्ता ऑडिट कराने का निर्णय लिया गया है।

सितंबर में पुलिस को पता चला कि सचिन के नाम से रजिस्टर्ड फर्म एसएस मेडिकोज ने दिल्ली की तीन कंपनियों को एक करोड़ 85 लाख रुपये की नकली दवा दी थी। एसएसपी ने बताया कि श्रीबालाजी मेडिकोज, भारत मेडिकोज और आरजी फार्मा के मालिकों को नोटिस भेजा गया है।

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