नोएडा अथॉरिटी में एसआईटी ने मारा छापा 100 करोड़ रुपए मुआवजा घोटाला.....
Noida:नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) से इस समय बड़ी खबर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सख्त टिप्पणी के बाद विशेष जांच दल (SIT) की टीम अथॉरिटी दफ्तर पहुंच गई है। टीम के सदस्यों ने दस्तावेज खंगालना शुरू कर दिए हैं। नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। एसआईटी ने कार्मिक विभाग से संबंधित समय में तैनात रहे अधिकारियों की सूची मांग ली है। कुछ पुराने अफसर भी एसईटी के रडार पर आ सकते हैं। इसके अलावा मौजूदा समय में भी तैनात कुछ अफसर भी आरोपों के घेरे में हैं। इस एक्शन के बाद नोएडा अथॉरिटी में हड़कंप मचा हुआ है।
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से 100 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। इस एसआईटी में तीन अफसर जांच में अहम भूमिका निभाएंगे। सोमवार को एसईटी की टीम ने अथॉरिटी में डेरा डाल दिया है। अथॉरिटी के अफसर जांच टीम की ओर से मांगी गई तमाम जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने के मामले में विधि विभाग के सिर्फ दो अधिकारियों को दोषी मानने से इंकार कर दिया और कहा कि इस मामले कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता है, जिसकी गहनता से जांच होनी चाहिए। इसी जांच को अंजाम देने के लिए एसआईटी नोएडा प्राधिकरण पहुंची है।
प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान
प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसमें चेयरमैन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अलावा कमिश्नर मेरठ, एडीजी मेरठ जोन को भी शामिल किया गया है। प्राधिकरण में किसानों को अतिरिक्त मुआवजा वितरण करने में बड़ी अनिमियतता सामने आई। जिसमें विभिन्न प्रकरणों में साठगांठ करके समझौते के आधार पर अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान मुआवजे के लिए रूप में किया गया। इसके लिए चार गांवों की जांच की गई। जिसमें अकेले गेझा तिलपताबाद के 15 प्रकरणों में करीब 100 करोड़ 16 लाख 81 हजार रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देकर प्राधिकरण को बड़े राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया। इन सभी मामलों को सूचीबद्ध किया जा चुका है।
एफआईआर में क्या है
नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था, 'सुनवाई के दौरान यह पता चला कि रिपोर्ट किया गया मामला एकमात्र उदाहरण नहीं है और ऐसे कई मामले हैं। जिनमें न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने भूमि के लिए मुआवजे का भुगतान किया है। कानून में किसी भी अधिकार के बिना मुआवज़ा दिया गया है। हमारे विचार में यह प्राधिकरण के एक या दो अधिकारियों के कहने पर नहीं किया जा सकता है। प्रथमदृष्ट्या संपूर्ण नोएडा सेटअप इसमें शामिल प्रतीत होता है।'