कस्टम वसूली में पांच साल में नोएडा ने बनाया कीर्तिमान

Noida: नोएडा का रिकार्ड बनाने में अपने में ही एक रिकार्ड है। नोएडा कई क्षेत्रों में अव्वल रहने के कारण समय-समय पर रिकार्ड बनाता रहता है। अब नोएडा ने कस्टम वसूली के क्षेत्र में रिकार्ड बनाया है। पिछले पांच साल में नोएडा सीमा शुल्क आयुक्तालय गौतमबुद्ध नगर (तिलपता दादरी) ने कस्टम शुल्क वसूली में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। नोएडा के नाम साल दर साल कस्टम शुल्क वसूली में करोड़ों रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस तरह यह कीर्तिमान भी नोएडा के ही नाम रहा।
पिछले पांच साल के आंकड़ों के मुताबिक, जिले से कस्टम शुल्क के रूप में करोड़ों रुपये सरकार के खजाने में जमा कराए गए हैं। दरअसल दिल्ली से सटा गौतमबुद्ध नगर औद्योगिक शहर के रूप में स्थापित किया गया है। यहां के उद्योगों में कच्चे माल की आवक से आयात और निर्यात के एवज में कस्टम शुल्क के रूप में हर साल सरकारी खजाने में करोड़ों रुपये का राजस्व जमा कराया जा रहा है। यह न केवल जिले में औद्योगिक विकास को दशार्ता है, बल्कि यहां की आर्थिक गतिविधियों की मौजूदा स्थिति को भी दशार्ता है। गौतमबुद्ध नगर स्थित कस्टम विभाग के मुताबिक, पिछले पांच साल में यहां से हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व सरकारी खजाने में भरने का काम हुआ है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024- 25 में दिसंबर तक करीब 6700 करोड़ रुपये का राजस्व कस्टम शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जमा कराया जा चुका है। अभी वित्तीय वर्ष के तीन माह शेष हैं, ऐसे में इस साल भी पिछले साल जमा कराए गए कुल कस्टम शुल्क का रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद जताई जा रही है।
जिले के उद्योगपतियों ने कस्टम प्रक्रिया को और सरल बनाने पर जोर दिया है, उनका कहना है कि इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। निर्यातकों ने कस्टम की प्रक्रिया को और सरल बनाने की मांग उठाई है। उनका मानना है कि सरल प्रक्रिया से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और जिले के आर्थिक विकास में और तेजी आएगी। निर्यातकों ने कस्टम अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे निर्यात प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनाएं। वर्ष 2024-25 में दिसंबर तक 6700 करोड़ का राजस्व कस्टम शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जमा कराया गया।
सुधीर श्रीवास्तव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन का कहना है कि कस्टम में कई दिन तक उद्यमियों का माल फंसा रहता है। इसे तय समय में डिलीवर करने के अलावा कस्टम से माल को पास कराने की प्रक्रिया को और भी सरल बनाने की जरूरत है। कई मामलों में उद्यमियों को जटिलता का सामना करना पड़ रहा है। नवीन गुप्ता, चेयरमैन (नोएडा चैप्टर), इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने कहा कि यह सच है कि कस्टम की प्रक्रिया को और सरल जरूरत है, ताकि कच्चे की आवक और निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके। कस्टम से मिलने वाले ड्रॉ बैंक की प्रक्रिया में आने वाली खामियों को भी दूर किया जाए।
साल-दर-साल इस तरह बढ़ा कस्टम वसूली का ग्राफ
-वर्ष 2020-21 में 4600 करोड़ रुपये
– वर्ष 2021-22 में 5500 करोड़ रुपये
-वर्ष 2022-23 में 6900 करोड़ रुपये
– वर्ष 2023-24 में 8700 करोड़ रुपये
कस्टम की खामियों को दूर करते हुए इसकी प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। जिले के रेडीमेड गारमेंट्स के निर्यातक व इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव बंसल का कहना है कि जिले से हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व कस्टम शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जमा कराया जा रहा है, बावजूद इसके कस्टम की प्रक्रिया में सरलता बनाए रखने की कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। मौजूदा समय में भी कई प्रकार की खामियां झेलनी पड़ रही हैं।