खो गई ग्रेनो प्राधिकरण 500 करोड़ रुपये की भूमि, अधिकारियों की मिलीभगत

खो गई ग्रेनो प्राधिकरण 500 करोड़ रुपये की भूमि, अधिकारियों की मिलीभगत

Greater Noida:प्राधिकरण की करीब 500 करोड़ रुपये की जमीन खो गई है। प्राधिकरण के अधिकारी इसे तलाशने में नाकाम रहे। मामले में सीईओ ने गांव से फरियाद लेकर आने वाले किसानों को जमीन ढूंढने की जिम्मेदारी सौंपी। जिम्मेदारी मिलते ही किसानों ने करीब 48 हजार वर्गमीटर जमीन ढूंढ निकाली, जिसकी कीमत करीब 225 करोड़ बताई जा रही है। 

दरअसल, ग्रेनो प्राधिकरण जमीन अधिग्रहण के बाद किसानों को छह से लेकर 10 फीसदी प्लॉट आवंटित करता है। करीब एक वर्ष पहले अदालत के आदेश का पालन करने के लिए प्राधिकरण ने किसानों को छह फीसदी भूखंड देने का अभियान चलाया था। अभियान में अधिकारियों ने उन किसानों को दोबारा भूखंड आवंटित कर दिए, जिन्हें पहले छह फीसदी प्लॉट दिए जा चुके थे। अधिकारियों ने मिलीभगत से किसानों को मूल गांव की जगह दूसरे गांवों में यह भूखंड आवंटित किए थे। इन अपात्र किसानों को हाईकोर्ट से आई सूची में शामिल कर दिया था और इससे किसी को संदेह भी नहीं हुआ। मगर, कुछ किसानों को इसकी भनक लग गई। उनकी शिकायत के बाद प्राधिकरण ने अधिकारियों की कमेटी बनाकर जांच में आवंटित और गांवों में नियोजित किए गए 125 भूखंडों को निरस्त कर दिया गया। 

इसके बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने उन्हीं गांवों के कुछ किसानों के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा कराना शुरू कर दिया। कुछ दिन पहले ही किसान आंदोलन के दौर चार्ज संभालने आए नए सीईओ रवि कुमार एनजी ने अधिकारियों से प्राधिकरण की गांवों में जमीन तलाशने की जिम्मेदारी दी। अधिकारी और कर्मचारियों ने जमीन नहीं होने की बात कही। तीन माह बाद भी सीईओ को गांवों में जमीन नहीं होने की बात बताई गई। इसके बाद सीईओ ने किसानों को ही प्राधिकरण की खोई जमीन तलाशने की जिम्मेदारी दे दी। पिछले सप्ताह ही प्राधिकरण को इटैड़ा-हैबतपुर और पतवाड़ी गांव में करीब 48 हजार वर्गमीटर जमीन किसानों ने तलाश कर दी। इसके बाद प्राधिकरण सीईओ ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। अब इस जमीन पर किसानों के छह फीसदी भूखंड नियोजित करने की तैयारी है।

तीन दशक पहले प्राधिकरण और किसानों के बीच हुए विवाद को दूर करने के 397 हेक्टेयर भूमि देनी होगी। इतनी जमीन देने के बाद किसानों के पुराने सभी विवाद दूर हो सकेंगे। इससे न सिर्फ किसानों की समस्या दूर होगी, बल्कि प्राधिकरण की रुकी परियोजनाएं भी गति पकड़ सकेंगी। इस समस्या को दूर करने के लिए प्राधिकरण किसानों के लिए जमीन तलाश रहा है। अब प्राधिकरण बोर्ड के नए फैसले को देखें तो 17 हजार से अधिक किसानों को चार फीसदी या अन्य को 10 फीसदी प्लॉट देने के लिए करीब 221 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी। 

ग्रेनो प्राधिकरण सीईओ रवि कुमार एनजी ने बताया कि अधिकारियों से जब भी गांवों में जमीन तलाश करने की बात कही जाती तो वह भूखंड का पता नहीं चलने की बात कह रहे थे। अब किसानों से गांवों में जमीन की तलाश कराई जा रही है। अब तक 48 हजार वर्गमीटर जमीन का पता चल गया है। जिसकी कीमत करीब 225 करोड़ है। इस पर अगले सप्ताह से किसानों के भूखंड नियोजित कराए जाएंगे।