किसानों को मुआवजा देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टेंशन में क्यों है अथॉरिटी?

किसानों को मुआवजा देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टेंशन में क्यों है अथॉरिटी?

Noida: सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश नोएडा अथॉरिटी के लिए परेशानी का सबब बन गया है। आलम यह है कि आदेश के बाद भी नोएडा प्राधिकरण के लिए किसानों को मुआवजा देना मुश्किल हो रहा है। इसका कारण जमीन पर अतिक्रमण होना है। नोएडा अथॉरिटी के सामने यह संकट गिझौड़ गांव को लेकर खड़ा हुआ है। यहां के 43 किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनको 214 रुपये प्रति वर्ग मीटर नहीं बल्कि 306 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा दिया जाए। इसके लिए उन्होंने कई अन्य फैसलों को आधार बनाया।

कोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया और प्राधिकरण को मुआवजा देने का आदेश दिया। प्राधिकरण ने 43 किसानों की जमीन को वेरिफाई किया। इसमें 4 केस करीब 8 से 9 ऐसे किसान को मिले जिनकी जमीन पर 2000 वर्गमीटर के आसपास अतिक्रमण मिला। प्राधिकरण ने बाकी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया। अतिक्रमण होने की वजह से इन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं दिया जा सका। प्राधिकरण का मत है जब कि किसान जमीन से अवैध निर्माण नहीं हटाते मुआवजा नहीं दिया जा सकता। बता दें ये आदेश अप्रैल 2024 में आया था। जिसके बाद प्राधिकरण की टीम नपाई करने के लिए गिझौड़ गांव गई थी। वहां किसानों के विरोध के चलते प्राधिकरण अधिकारियों को वापस आना पड़ा था। मामला फिर से तूल पकड़ रहा है। ऐसे में बुधवार को पुलिस विभाग की ओर से एक बैठक किसानों और प्राधिकरण अधिकारियों के साथ की गई। अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि जमीन पर बने अतिक्रमण को कैसे हटाया जाए।

इस मामले को लेकर हाल ही में नोएडा प्राधिकरण और किसानों के बीच बैठक हुई। जिसमें किसानों ने स्पष्ट कहा कि प्राधिकरण की नियत मुआवजा देने की नहीं है। वे जबरन दबाव बना रहे हैं। हमारी आबादी को बने हुए 30 साल से ज्यादा हो गए। इस पर सहमति बनी कि थर्ड पार्टी से पैमाइश कराई जाए। इस मामले की जांच एसडीएम स्तर पर की गई। इस जांच रिपोर्ट में भी चारों केस में अतिक्रमण सामने आया।

 

जिन चार केस की बात हो रही है। उन किसानों में किसी ने 222 वर्ग मीटर, 50 वर्ग मीटर, 78 वर्ग मीटर , 389 वर्ग मीटर और 900 वर्ग मीटर तक जमीन पर अतिक्रमण किया है। जिस स्थान पर ये जमीन है वो आबादी बाहुल्य इलाका है। जहां अवैध निर्माण को सील करना व तोड़ना काफी मशक्कत का काम है। ऐसे में लॉ एंड आर्डर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा प्राधिकरण और पुलिस दोनों ही बैठक कर समस्या का हल निकालने का प्रयास कर रहे है।

इस मामले में अगली तारीख 12 अगस्त की है। जिसमें प्राधिकरण को बताना है कि सभी किसानों को मुआवजा दिया गया या नहीं। ऐसे में प्राधिकरण विधि विभाग से सहालमशवरा कर अपना जवाब दाखिल करेगा। प्राधिकरण अधिकारी ने बताया कि अतिक्रमण कर्ताओं को 24 जुलाई तक का समय अतिक्रमण खाली करने के लिए कहा गया था। लेकिन अब भी यथा स्थिति है।