भू-लेख विभाग की कारस्तानी उजागर, फर्जी आपत्तियां लगाकर फंसाए प्लाट

भू-लेख विभाग की कारस्तानी उजागर, फर्जी आपत्तियां लगाकर फंसाए प्लाट

Noida: नोएडा प्राधिकरण के भू-लेख विभाग से किसानों के पांच प्रतिशत आबादी के प्लॉट पर फर्जी अतिक्रमण की आपत्तियां लगाई गई हैं। यह खुलासा किसानों की शिकायतों पर दोबारा हुए सर्वे में हुआ है। इस कारण पांच-सात साल किसान नोएडा प्राधिकरण के चक्कर काट रहे और कह रहे थे उन्होंने कोई अतिक्रमण नहीं किया है। ऐसे 38 किसानों का कोई अतिक्रमण नहीं मिला है। अब उनके प्लॉट मिलने का रास्ता तकरीबन साफ हो गया है। प्राधिकरण उन प्लॉटों का सर्वे दोबारा करवाएगा जिन पर अतिक्रमण की आपत्तियां दर्ज हैं।

ओएसडी क्रांति शेखर सिंह ने बताया कि किसानों की समस्याओं और मांगों के निस्तारण के लिए सीईओ डॉ. लोकेश एम के निर्देश पर दोबारा सर्वे का फैसला लिया गया है। 55 गांव का सर्वे कराया जाना है, जिनमें अभी किसानों के प्लॉट के प्रकरण निस्तारित नहीं हुए हैं या प्राधिकरण जमीन ले रहा है। इनमें वर्क सर्कल, भू-लेख, नियोजन की संयुक्त टीम के जरिए 15 गांव का निरीक्षण कराया जा चुका है। इनमें 377 किसानों का सर्वे हुआ है। कुछ प्लॉट पर अतिक्रमण की आपत्तियां सही भी मिली हैं। बाकी गांव में भी सर्वे जल्द पूरा कराया जाएगा।

प्राधिकरण के एसीईओ सतीश पाल ने बताया कि मौजूदा समय में प्राधिकरण से 203 किसानों को 5 प्रतिशत का प्लॉट दिया जाना बाकी है। कुछ किसानों को अलग-अलग सेक्टर में प्लॉट दिए गए। कुछ समय पहले ही सेक्टर-146 में ग्रुप हाउसिंग के लिए चिह्नित दो बड़े प्लॉट हटाकर उनकी जगह पर 55 किसानों के प्लॉट निकाले गए हैं। बचे किसानों के प्लॉट देने का आकलन भी प्राधिकरण ने किया है।

प्राधिकरण आपसी समझौते के आधार पर किसान से जमीन लेता है, उस जमीन के सापेक्ष 5 प्रतिशत का आवासीय प्लॉट किसान को मिलता है। शर्त यह भी होती है कि अपनी जमीन पर किसान का कोई अतिक्रमण या निर्माण न हो। कई प्रकरण में यह बात सामने आई है कि जमीन बचाने को घेर ली जाती है। अगर किसान ने पूरी जमीन नहीं छोड़ी होती है या प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में उसका निर्माण होता है तो प्राधिकरण उसे अतिक्रमण मानता है। इसकी आपत्ति उस किसान के प्लॉट पर लग जाती है।